Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 01
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 309
________________ .. मुंहता नैणसीरी ख्यात [ ३०१ राजथांन' । संमत १६०६ रा पोस वदी रो जनम । संमत . १६६५ मांडळ थांणो थो तहँ राम कह्यो । मांडळरा तळाव ऊपर छत्री छै । . २१ जगरूप कंवर जगनाथरो। कंवर थको हीज दिखणमें अकबर पातसाहरै संमत १६५६ काम आयो । बेटो कोई नहीं । बेटी १ थी सु राजा गजसिंघजी संमत १६६२ तोडै परणाई कल्याणदेजी। २१ करमचंद राजा जगननाथरो । टीको हुवो । वडो दातार हुवो। सु राजा जगननाथ पछै वरसां ४ सोह जागीर रही । पछै मिलकापुर थांण रांम कह्यो । २२. अभैकरन । २१ जसो राजा जगनाथरो । - २१ वीजळ राजा जगनाथरो, पातसाही चाकर । वांकी बेग मोह बतखांरो रिणथंभोररा सूबा ऊपर थो। पाछो साहिजादो खुरम फिरियो, तरै साहिजादारै हुकमसूं गोपाळदास आई' रिणथंभोररी तळंटी तलक' दखल कियो। वांकी बेग गढ़ चढ़ गयो । पाछो साहिजादो नीसरियो' नै गोपाळदास गोड़ ही जांण लागो । पाछो वांकी बेग उतरियो,° पाछो कियो। पछै रातै गोपाळदास रातीवाहो दियो,11 त? वांकी बेग नै वीजळजी काम आया। - . २१ मनरूप राज जगनाथरो, भीवरो तोडो पटै थो। २१ गोपाळसिंघ पातसाही चाकर, तोडो पटै । २२ सुजांणसिंघ। २३ केसरीसिंघ । Nex.mtamnnary . . वाण I राजधानी । 2 वहां मरा। 3 कुंवरपदे ही सं० १६५६में दक्षिण में अकबर बादशाहके काम आ गया। 4 राजा जगन्नाथके मरनेके बाद चार वर्ष तक सब जागीर उसके पास रही। 5 फिर मलिकापुर थानेमें मर गया। 6 पाछो फिरियो = बागी हुआ। -7 आकर । : 8 तक। 9 लौट कर चला गया। 10 फिर बांकी बेग गढ़से उतरा। .. II फिर गोपालदासने रात्रि-पाक्रमण किया ।

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