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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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सांमरै कांम, धणीरा मुंहडा प्रागै बाज मरै सु औ मोहल पावै ।" पछै रातै राखाइच उठै रह्यो, नींद आई, सवारै लाखा कनै जागियो' । तठा पछै राखाइच उण लोक जांणरी मनमें धारी'; नै लाखारै पाटहो महुवोथो उण चढ़ने पाटख मूळराज कनै गयो । भाईनूं राखाइच लाखारी सारी ठाकुराईरो भेद बतायो । मूळराजनूं कह्यो - " हमार' दीवाळी छे । सारा साथनूं लाखेजी सीख दी छै । कदै वैर वाळणरी मनमें छै तो फलांणी तेरीख वेगा आवजो ।" राखाइच कहनै पाछो आयो । वांसै मूळराज सवळो कटक करने लाखोजोरो आठ कोट हुतो तठे ऊपर आयो । नै लाखो पायगा प्रायन उण घोड़ा ऊपर हाथ फेरियो, रज लागी आई' । तरै लाख कह्यो - " ग्रा तो रज
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हलवाड़ा-पाटणरी छै । इण घोड़े कुरण चढ़ कठी गयो हुतो ? तरै पांडव कह्यो–“राखाइच चढ़ गयो हुतो ।” तितरै राखाइच पिण मुजरै आयौ । लाखोजी देख मुळकिया " । कह्यो - "भांणेज ! भवांवळा हुआ ?" राखाइच वात कबूल की । तितरै खबर आई, कह्यो"कटक आयो ।” तरै राखाइच लाखाजीरै मुंह आगे सांमरै कांम बापरे वैर बाज मुवो नै लाखोजी पिण कांम आया नै राखाइच उण लोक प्राप्त हुवो ।
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1 और अपने बाप के बैरका बदला लेनेके लिये, स्वामीके काम के लिये स्वामी के सन्मुख लड़ कर मरे वह इन महलोंको पावे । 2 प्रातःकाल लाखाके पास जागा । 3 जिसके बाद राखाइचने उस लोक में जानेका मनमें निश्चय किया । 4 और लाखाके पास जो जवान महुवा घोड़ा था उस पर चढ़ करके मूलराजके पास गया । 5 अभी । 6 सभी मनुष्योंको लाखाजीने छुट्टी दी है । 7 जो कभी वैर लेनेका बदला लेनेकी मनमें हो तो अमुक तारीख पर जल्दी आ जाना | 8 पीछे मूलराज जबरदस्त कटक तैयार करके लाखाजीका बनवाया हुआ आठ कोट था, उस पर चढ़ कर आया । (सौराष्ट्रमें जाम लाखाने भादर नदी के किनारेके पहाड़ी प्रदेशमें सात किले (कोट) बनवाये थे और इस आठवें कोटका 'नाम उसने 'ग्राठ कोट' रखा था, जो अव 'आठ कोटके' नामसे पसिद्ध है । आठ कोट, राजकोट से ३० मील दूर ग्रग्निकोणमें वसा हुआ है । 9 हाथमें रज लग आई । 10 इस घोड़े पर कौन चढ़ कर कहां गया था ? II इतनेमें राखाइच भी मुजरा करनेको श्रायां । 12 लाखाजी देख कर मुस्कराये । 13 भानजे ! धोखा विचार लिया ?