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मुंहता नैणसीरी ख्यात
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[ २६६ "कुण हुतो' ?" तरे मूळराज कह्यो - "म्हारी मा हुती ।" तरं बीज को - " मारणी हुती । तें जाण दी, बुरी कीवी ।" तर मूळराज कह्यो - "जांण न दी छै, मारी छै ।” तरै बीज कह्यो - " वडो कांम कियो । हू थारी अकल - समझसूं बोहत राजी छू । तूं सही पाटणरो धणी हुईस' । थारी वडी साहबी हुसी ।" पछे मूळराजरी मानूं खाडाबूज करने' बीजै दिन रजपूत ग्राप वळू किया था सुसारा भेळा करने चावड़ा भूलता था तठे ऊपर गयो पाटण मूळराज ली । बीज सवणी हुतो, " आपणां घरसूं पाटणरो राज नहीं जाय" । "
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सारा कूट मारिया ' । कह्यो - "इतरी पीढ़ी
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वात एक जाड़ेचा लाखानू सोल की मूलराज मारियांरी
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मूळराज पाटण धणी छै । मूळराजरो भाई राखाइच लाखा जाड़ेचारो भांणेज लाखा कनै कैलाहकोट रहै छै । सु लाखो जाड़ेच सूतो पाछली रातरो जागे, 14 सबळी धाह दे रोव" । लाखारै साहिबीरी मदार सारी भांज राखाइच सोळंकी ऊपर छै" ।
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एक दिन राखाइच लाखा फूलांणी मांमांनूं कह्यो - "थे पाछली रातरी धाह दे सासता रोवो छो सु थांनूं इतरो कासूं दुख छै" ?"
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I कौन था । 2 मेरी मां थी । 3 मार देनी थी । 4 बहुत अच्छा काम किया । 5 तू निश्चयपूर्वक पाटनका स्वामी होगा । 6 तेरी बड़ी हुकूमत होगी । 7,8 फिर मूलराजकी मांको खड्ड में दूर करके, दूसरे दिन जिन राजपूतोंको अपने पक्षमें कर लिया था उन सबको इकट्ठा करके जहां चावड़े नहा रहे थे, वहां उन पर चढ़ कर चला गया । 9 सवको मार दिया । 10 वीज शकुनी था । II इतनी पीढियों तक अपने घरसे पाटनका राज्य नहीं जायेगा । 12 जाड़ेचा लाखाको सोलंकी मूलराजने मार दिया उस घटनाकी एक बात 1 13 मूलराजका भाई राखाइच जाड़ेचा लाखाका भानजा, लाखा के पास कोलाहकोट में रहता है ( कच्छ - कलाधरमें 'राखाइच' का नाम 'लाखाइत' और 'कैलाहकोट' का नाम 'केराकोट' लिखा है | ‘कपिलकोट' से बिगड़ कर 'केराकोट' हो जाना बताया गया है । 14 लाखा जाड़ेचा सोता हुआ पिछली रातको जाग जाता है। 15 जोरसे चिल्ला कर रोता है । 16 लाखाकी हुकूमत का सारा दारोमदार अपने भानजे राखाइच सोलंकी पर है । 17 तुम पिछली रातको बड़े जोरसे निरंतर रोते हो सो तुमको इतना क्या दुःख है ?