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मुंहता नैणसीरी ख्यात घणां। ६ सीधका, मेवाड़में नै बीकानेर देस में छ। १० चोहिल, मेवाड़ में घणा । ११ फळू, सीरोही जालोररी में घणा । १२ चैनिया, फलोधी दिसा छै । १३ वोजरा । १४ झांगरा, मारवाड़में भाट छै। धनेरियै, भूभळियै नै खोचीवाड़े रजपूत छै । १५ वाफणा, वांणिया । १६ चौपड़ा, वाणिया छ । १७ पेसवाळ, रवारी", खोखरियावाळा । .. १८ गोढला । १६ टाकसिया, मेवाड़में छ। २० चांदोरा, कुभार', नीवाजवाळा । २१ माहप,-रजपूत, मारवाड़में घणा । २२ राणा, रजपूत छ । २३ सवर, मारवाडमें रजपूत छ । २४ खूमोर । २.५ सांमोर । २६ जेठवा, पड़िहारां भिलै ।
. साख सोळंकियांरी-- ____ १ सोळंकी, २ वाघेला, ३ खालत, ४ रहवर, ५ वीरपुर, ६ खे राड़ा, ७ वेहळा, ८ पोथापुरा, . ६ सोजतिया, १०. डहर, सिंध नू, तुरक हुवा, ११ भूहड़, सिंधमें तुरक हुवा, १२ रूझा, तुरक हुवा थटा दिसी' । वात देवळि यारै धणियांरी--
.. इण परगनारो नाम ग्यासपुर छै, तिगरो देवळियो गांव छै । सु देवळियाथी कोस ५ ईशांन-कण माहै छ, उठे गढ़ कोई न छै, . . .
1 सिरोही और जालोर प्रदेशमें अधिक। 2 फलोदीकी ओर हैं। 3 पड़िहारोंकी झांगरा शाखा वाले राजपूत भाट हो गये जो मारवाड़में रहते हैं। 'भाट' संस्कृतके 'भट्ट' शब्द का . अपभ्रंश है। विविध जातियोंकी वंशावलिये लिखना इनका, धंया है। वंशावलियां लिखने और सुनाने की वृत्ति अंगीकार करने के बदले में भेट, पूजा-सन्मान, त्याग और दानादि ग्रहण करनेके कारण यह जाति अपनेको ब्राह्मण मानती है और अब 'ब्रह्मभट्ट' नामसे इनकी प्रसिद्धि है। 4 'वाफना' शाखाके पड़िहार अत्र प्रोसवाल वनियों की एक . शाखा है। ..... 5 'चौपड़ा' शाखाके पड़िहार अब प्रोसवाल वनियोंकी एक शाखा है। 6 खोखरिया गांवके रहनेवाले 'पेशवाल' शाखाके पड़िहार भेड़ बकरी और ऊंट आदि रखने और चरानेका धंधा करनेके कारण ये 'रेवारी' कहलाने लग गये और भाटोंकी भांति ही अलग जाति में परिवर्तित हो गये। 7 नींवाज में रहने वाले 'चांदोरा' शाखाके पड़िहार मिट्टीके बरतन
बनाने का धंधा करने के कारण 'कुम्हार' जातिमें परिवर्तित हो कर क्षत्रियों से अलग पड़े · गये। 8 सोलंकी शाखाके 'डहर' राजपूत मिधर्मे जा कर मुसलमान हो गये। 9 सोलंकी शाखाके रूझा' राजपून सिंवमें नगर-थट्टाकी ओर जा कर मुसलमान हो गये। 10 ग्यासपुर..... परगनेका मुख्य गांव देवलिया है । 11 ईशान कोण।'