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मुंहता नैणसीरी ख्यान
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सुसीयळ नीसरी थी । श्रा खवर मानसिंघ दावतनूं सीरोहीथा को एक ' प्रायो हुतो तिण कही हुंती । रांगो सिकार चढ़ियो छे, कुंभळमेर दिसी । न राणानूं या खबर न छै नै मानसिंघनूं को एक सीरोहीसूं वळ प्रायो तिण को - 'उदैसिंघ दवाव मांहे छे ।' पर्छ राव उदैसिंघ सीयळसं वो । तर रजपूते दीठो, इणरै तो वेटो को न छै । मानसिंघ दूदा - वत रांणा कना छै | रांणो या खवर सुरणनै उठे मानसिंघनूं मारने कुंभळमेरसूं ग्राघो हीज श्रावे तो आज देवड़ांरा घरसूं ग्रावू जाय । तरै पांच ठाकुरे' रावनूं मुवो पोहर २ किणहीनं सुरणायो नहीं ने सांहणी जैमल निपट वडा श्रादमी हुतो । इतवारी लायक", तिरणनूं मांनसिंघ दिसा" कागळ लिख सारी बात कहि- समझायनै चलायो । नै पाछे रावनूं दाग दियो" । सांहणी जैमल सारी रात खड़ि" दिन पोहर एक चढ़तां पहली कुंभळमेर मांनसिंघरै डेरै ग्रायो । चीवो" सांवतसी थो, तिरणनूं कांन मांहे वात सारी समझायनै कही । तरै कह्यो–“मांनसिंघ रांगां कनै छै । दरबार कुंभळमेर जुड़ियो छै", त गयो । मानसिंघ प्रावतो दोठो जांणियो" । जु जैमळ ठे ग्रायो सु उठे कुसळ नहीं ।" मानसिंह मिस कर ऊठियो । थापर साथ मांहे आयो" । सांमां जैमलसूं मिळियो । जैमल वात थी सु निजरांमां समझाई | भेळा हुय डेरै ग्रायने चीवा सांवतसीनूं सारी बात समझाय कह्यो–“म्हे नासां छां" । रांणारा ग्रादमी ग्रावे तिणांनूं कहिजो, मानसिंघ सूअर २ हेरिया " छे, तठै गयो छै ।" नै मानसिंघनूं लेने उडाया असवार ५ सूं", सु रात पोहर एक जातां सीरोही नजीक
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I उदयसिंहको पहले चेचक नहीं निकलीथी सो अव निकल ग्राई । 12 सिरोहीसे कोई ग्राया था उसने कहा था । 3 की थोर । 4 पुनः । 5 उदयसिंह बीमारी दवता जा रहा है। 6 फिर राव उदयसिंह तो चेचकसे मर गया । 7 तव सरदारोंने विचार किया । 8 ग्रागे चलाही ग्रावे । 9 तव पांच प्रधान ठाकुरोंने रावके मर जाने की बात दो पहर तक किसीको नहीं सुनाई । TO साहनी जयमल जो बड़ा चतुर, योग्य और विश्वासपात्र था । II को 1 12 दाह-संस्कार किया । 13. चलकर | 14 चौहान क्षत्रियोंकी एक जाति । IS जुड़ा हुआ है | 1.16 मानसिंहने जयमलको श्राता देखा जाना ।
17 अपने मनुष्योंके
पास आया। 18 संकेत । 19 हम भागते हैं। 20 तलाश किये हैं । 21 और मानसिंहको ले कर जयमल ५ सवारोंसे उड़ा ।