________________
२३२]
मुंहता नैणसीरी ख्यात राव वरजांगनूं मारने साचोर मुगलै लीवी' । राव वरजांग बडो . ठाकुर हुवो । गढ़ जेसलमेर राव वरजांग परणियो', तद इतरो खरच लाग दापो कियो सु अजेस जेसळमेर उण चॅवरीको परणीजे न छ । राव वरजांगरी चँवरीरी ठोड़ प्रगट छ ।
राव वरजांगरा वेटा१६ जैसिंघदे । साचोर धणी । वरजांगरो । १६ तेजसी । साचोर धणी। १६ हीमाळो। १६ राघवदे। १६ राम । १६ पासो।
१६ देपाळ ।
जैसिंघदे वरजांगरो । साचोर धणी । राणा उदैसिंघरी मेवाड़ वैहन परणियो हुतो । प्रांक १६ ।
१७ नींबो। १७ धीरो। १७ जगमाल साचोर धणी । तिणनूं पीथमराव तेजसीयोत
मारियो । १७ कचरो। १७ सूरदास । १७ भैरव ।
१७ रतन जैसिंघदेरो। आखड़ी ४६ वहैतो । नींबो जैसिंघदेरो । प्रांक १७ ।
I राव वरजांगको मार कर मुगलोंने साचोर लेली। 2 विवाह किया। 3 तब लागदापा आदिमें इतना खर्च किया कि अभी तक जैसलमेरमें उस चौंरी पर ( इससे अधिक खर्च । .. करने वाला अभी तक कोई उत्पन्न नहीं हो सका है ) किसीका विवाह नहीं किया जाता। 4 राव वरजांगकी वह चौंरीकी जगह अब तक प्रसिद्ध है। 5 वरजांगका वेटा । 6 जयसिंहदे, वरजांगका वेटा, पुनः साचोरका स्वामी हुआ । मेवाड़ के राणा उदयसिंहकी वहनसे विवाह किया था। 7 जगमाल साचोरका स्वामी जिसको तेजसीके वेटे पीथमरावने मारा। 8 रतन . .. जयसिंहदेका बेटा, ४६ प्रतिज्ञाओं पर आचरण करने वाला।