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मुंहता नैणसीरी ख्यात . [ १३१ १४ सुभकरन । श्रीजीरै वास रु० ३५०००) पटो। १४ सकतसिंघ । १३ प्रेमसाह। १४ भगवंतराय। १५ चंपतराय । वडो रजपूत हुवो । जुगराज मारियां पछै धरती ___माहे वडो विखो कियो' । १६ सालवाहन । १५ सुजांणराय।
१५ भीवराय । .. १६ राजा वरसिंघ दे । धरमातमा हुवो । मुथराजीमें श्री केसो
रांयजीरो देहरो करायो। पातसाहरी चाकरी अखंड कीवी नै मुवां पछै टीकै जुगराज बैठो । सु बैठा पछै केई दिन तो घणो ही तपियो पछै श्रीठाकुरजी वीच देनै चवरांगढ़ गुंडांरो लियो । पछै संमत १६६६ रा काती माहै पातसाहतूं विरस' हुवो तरै पातसाह फोज की। खांनदोरा अबदूलाखांन और हिंदू मुसलमान विदा किया। पातसाह चढ़ ग्वालेर आयो । फोजां देस माहै दखल कियो । इणसूं घणी लड़ाई-वेढ़ कोई हुई नहीं' । पारपखै पातसाहरै माल आयो। जुगराज देस छोड़ नाठो । प्रागै जातां आप बैठां विक्रमाजीत माराणो' । पछै पातसाहजी उड़छै पधारिया । वीरसमंद वडो तळाव छै, तठे पातसाहजी को" दिन रह्या । पछै पातसाहजी सिरिवाज माहै हुय वहांनपुर पधारिया । पछै दोलतावाद पधारिया ।
इति बूंदेलांरी ख्यात वार्ता संपूर्ण ।
I चंपराय-बड़ा वीर राजपूत हुआ। जुगराजको मारनेके पीछे इसने पृथ्वी पर वड़ा भय उत्पन्न कर दिया । 2 गद्दी वैठनेके बाद कई दिन तक तो धर्मपूर्वक निष्कंटक राज्य किया। 3 फिर श्री ठाकुरजीकी शपथ खाकर धोखेसे गूंडा जिलेके चवरागढ़ पर अधिकार कर लिया। 4. शत्रुता। 5 सेना भेजनेकी तैयारीकी। 6 देशमें सेनाने अधिकार कर लिया। 7 इससे युद्ध नहीं हो सका । 8 अपार धन । 9 भाग गया । TOआगे जाकर उसके जीते जी उसका पुत्र विक्रमाजीत मारा गया। I कई।