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मुंहता नैणसीरी ख्यात भीवरा ही माणस २० तथा २५ जीनसाळि या पड़िया। पडियापड़िया कहता 'दोढियां तांई तो गया । आघी चूरी जाय नहीं ।" आगै तिके वहादर सिलहां-किया- ऊठिया । तिणथी-डोढी चूरी जावै नहीं । आगै भींवर ही लोह एक दोय लागा, नै आप जिण घोड़े चढियो थो, जिण घोड़ारो पग पड़ियो । जोयो , ज्यूं. आघो जाणरो तोल क्यूं ही नहीं । तरै रजपूते भीवनूं पाछो वाळियो । कटक बारै12 आया तरै आपरो13 घोड़ो छिटकनै पड़ियो । तरै घोड़ारो पग निलंग4 छिटक पड़ियो । तरै भींव कह्यो-'दोढियां आगै घोड़ारो पग पड़ियो।' वीजै15 घोड़े चढ नै चलाया सु दीवांण छपनरै मगरै थो । भींव आय मुजरो कियो। रातरा मामलारी बात कही। दीवांण वोहत राजी हुवा । भीवरी घणी दिलासा16 करी । कह्यो- “साबास भींव ! बडो मामलो कियो।" पछै17 इण मामला हुवां पछै18 अवदूलो च्यार19 मास ताँई दीवांणरी फोज ऊपर दोडियो नहीं20 ।। गीत
खित21 लागा वाद बिनह खूदालम, सूता अणी सनाहे साथ । थापै खुरम जेवड़ा थांणा, भीव करै तिवड़ा भाराथ ॥ १ ॥ हुवा प्रवाड़ा हाथ हिंदुवां, असुर सिंघार हुवै आरांणा।
1 पखरेत घोड़ोंके सवार । 2 घायल पड़े-पड़े कहते थे कि डयोढ़ियों तक तो पहँच ही गये । 3 आगे शत्रुओंका चूर्ण करके नहीं पहुंचा जा सकता। 4 कवचधारी। 5 जिससे ड्योढ़ी पर खड़े शत्रुओंका नाश किये बिना आगे नहीं जाया जाता। 6 । तलवारके घाव । 7 घोड़ेका पांव टूट गया। 8 देखा । 9/10 तो आगे बढ़नेका कोई उपाय नहीं। भीमको पीछा लौटाया । 12 बाहिर । 13 अपना (उसका) । 14 घोड़ेका पांव टूट कर अलग जा गिरा 15 सरे । 16 खातिर, सन्मान । 17 फिर । 18 वाद । 19 चार । 20 दीवानकी . (महाराणाकी) सेना पर चढ़ाई नहीं की। 21 पृथ्वीके लिये दोनों (दिल्ली और मेवाड़के) बादशाह ऐसे युद्धरत हुए कि दोनों अपनी सेनाके साथ कवच धारण करके ही सोया करते। . खर्रमने जितने थाने स्थापित किये भीमने वहां जा कर उतने ही युद्ध किये ॥ १॥ हिंदुओंके हाथों (यशस्वी) युद्ध हुए जिनमें तुर्कोका अपार संहार हुआ ।
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