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मुंहता नैणसीरी ख्यात कौट मांहे हीज राखिया । औ कोटरा लगाव देखै । पिणं लगाव को कठे ही निजर नावै । मास छ उणांनूं कोट मांहे रहतांनूं हुवा । प्रोळ जाबताई घणी । दाव को लागै नहीं। सूई संचार कठे ही नहीं । गळि योकोट नदी ऊपर छै। सु खाई मांहे बारी १ छै । सु खाई सुरांग रुखी छै । तठे छांनो आवण-जावणरो राह छै। सु किणहीक परधानरै बेटे सदभाव मांहे बात करतां जणायो। तरै जोगियां पूछियो-''वा बारो कठीनै छै ।” तरै उण वताई । फलोणी ठोड़ छ । पछै दिन ५ तथा ७ नै उठ जाय बैठा। रातरा उए बारीरी खबर ले, वाहिर जाय मांहि आवणरा भूमिया हुवा । पछै उण टांटलारै कठीक व्याह-गाह' थो। तठी सारो साथ चढियो । औ भाई बेउ आलोजीया । वरस १ आंपांनूं अठै आयां हुवो । आज सारीखो दाव कदै लाभस्यै नहीं 110 तरै भाई एक रावळ कनै डूंगरपुर गयो नै भाई एक जोगी थको गळि येकोट मांहे रह्यो। रावळनू सारी जाय कही । कह्यो-"कोट चाहीजै तो इण घड़ी चढो । रात थकी उठे पोहचो । म्हारो भाई बारीरै मुंहडै बैठो छै ।" रावळ तिण वेळा असवार हजार १०००, पाळा ५०० सूचढ दोड़ियो । आगै ओ बारी खोल बैठो थो। उण बारीरी तरफ हुय रावळ साथ सूधो कोटमें पैठो12 । तितरै भाख फाटी13 । टांटलांरो जांमो वरस बारै हुवा तासु'4 सारा वाटा काटिया । बैरां पकड़ बंध कीवी16 नै गळियोकोट हाथ आयो। गांव ३५०० मांहे रावळरी आंण-दाण फिरी । वडी धरती हाथ आई।
डूगरपुरथी कोस १ पछिमनू रुद्रमाळो देहुरो17 नवो हुवो छ ।
1 सेंध । 2 नहीं आता है। 3 सूई . प्रवेश करे उतना भी छिद्र कहीं नहीं । 4 वह खाई सुरंगके रुख में बनी हुई है। 5 गुप्त । 6 जानकार। 7 फिर उस टांटलाके कहीं विवाह आदि था। 8 वहां सब लोग चले गये। 9 इन दोनों भाइयोंने विचार किया। 10 आज जैसा अवसर नहीं मिलेगा। 11 पैदल । 12 प्रवेश किया। 13/14 इतने में प्रभात हुआ। 14/15 टांटलाके समयको बारह वर्ष बीत गये थे सो उसके और · आगे बढने के सभी मार्ग मिटा दिये गये। 16 स्त्रियोंको पकड़ कर बंद कर दिया। - 17 शिवका मंदिर।