Book Title: Manav ho Mahavir
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 13
________________ में जन्म ले लिया, अपने को जैन कह लिया, महावीर के प्रति श्रद्धा रख ली, तो क्या जैंनी हो गए? सच्चा जैनी वह है जो जैन कुल में पैदा भले ही नहीं हुआ पर महावीर के प्रति आस्था रखता है । इस दृष्टि से तुम ईसाई कुल में जन्म लेकर भी हिन्दु हो सकते हो और हिन्दु कुल में जन्म लेकर भी हिन्दु नहीं हो सकते। जैन, जैन कुल में पैदा हो जाएगा, पर जैनत्व को पैदा नहीं कर पाएगा। जैन कुल में पैदा हो जाएगा, पर जैनत्व के संस्कार से चूक जाएगा। वह धन्य है, जो जैन कुल में पैदा हुआ हो और जीवन में जैनत्व का भी वरण करे । हिन्दु घर में जन्मे और उसकी आत्मा में हिन्दुत्व उतर जाये । हिन्दुत्व की जब मैं बात करता हूं, तो वह हिन्दुत्व यह नहीं है कि जनेऊ पहन लो, चोटी रख लोया मत्थे पर भभूत- चंदन का तिलक कर लो। मेरा मतलब सम्प्रदाय से नहीं, कर्मजात संस्कार से है, आचार-विचार से है । वैष्णव जन तो तेने कहिये जे, पीर पराई जाणे रे । पर दुखे उपकार करे तो ए, मन अभिमान न आणे रे । । यदि हम जन्म से ही स्वयं को वैष्णव या जैनी मानने लगेंगे, तो इसका अर्थ तो यह हुआ कि हमने धर्म का संबंध पैदाइश से लगा लिया, जन्म से लगा लिया। जबकि महावीर - बुद्ध ने तो पहली सीख ही यह दी कि जन्म से आदमी कुछ नहीं होता । ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र भी नहीं, तो तुम जैनी या बौद्ध कैसे हो गए ? धर्म का संबंध जन्म या पैदाइश से नहीं होता । खून से भी नहीं होता, खून तो सबका एक सा है। सभी गर्भ से आते हैं। अगर जन्म से ही जैन और अन्य कुछ होने लगे तो हम जन्मजात तो बड़े हिन्दु, जैन हो जाएंगे, लेकिन कर्म से नहीं। लोग कह रहे हैं कि हैदराबाद में कहीं एक बड़ा बूचड़खाना खुल रहा है, जिसके मालिकों में हिन्दु और जैन भी हैं । यह कैसा हिन्दुत्व या जैनत्व है? जैन कुल में पैदा हुए और खुद को जैनी मान लिया । भूल तो मूल में ही हो रही है। दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं –एक जन्मजात, दूसरे मानव हो महावीर / १२ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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