Book Title: Manav ho Mahavir
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 51
________________ कायाकल्प होना चाहिए। भीतर से बदलाव आया तो श्रद्धा पैदा होगी। किताबों को पढ़कर केवल विश्वास पैदा होता है। बाहर से बंदले तो केवल पांवों में झुकोगे, भीतर से झुके तो जिन्दगी ही बदल जाएगी। हमारा प्रयास होना चाहिए कि कली फूल बने। फूल बनते ही वह परमात्मा हो गई। यह उसका परिपूर्ण होना हुआ। ___मनुष्य या तो पशु बन सकता है या प्रभु। मनुष्य नीचे गिर गया तो पशु और ऊपर उठ गया तो प्रभु बन जाता है। गंदगी ही बने रहना है तो सुगंध कभी नहीं आएगी। इसे बदलोगे तो फूल खिल उठेंगे। परमात्मा बनना आसान है, अपने भीतर वह शक्ति पैदा करनी होगी, ताब लानी होगी। आप-हम-सब माटी से फूल खिलाने का प्रयत्न करें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। __आंगन को घेरे खड़ी दीवारों को गिराएं ताकि आंगन में आकाश उतरे। कांटों के पार झांकें ताकि कमल खिले। पर खोलें और भीतर के आकाश में छलांग भरें, उड़ान भरें। बदलें और जीवन के मार्ग पर बढ़ जाएं। 0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 wwwwwwwwww wwwwwwwwww mommmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmon चेतना का रूपान्तरण/ ५० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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