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सो बीत गई। जो अतीत का खण्डहर बन गई, उसे अब क्या देखना। जिस चीज का अंतिम संस्कार कर दिया गया, उसे बार-बार याद करते चले जाने से वह जीवित नहीं हो जाएगा। तीर कमान से निकल गया तो निकल गया। उसका कितना भी पीछा करलो वह अपने लक्ष्य को बेधकर ही रुकेगा। ____आप माला फेरने बैठे। एकाएक चिड़िया की चहचहाहट सुनाई दी तो आपको याद आया कि सुबह घर पर ऐसी ही चहचहाहट सुनी थी। इसके साथ ही आपको घर याद आ गया। फिर तो आप अपनी पत्नी, बच्चों आदि से मिलने में मशगूल हो गए। हाथ चलता रहा, माला घूमती रही, लेकिन आप कहीं ओर घूमते रहे। आखिर मन तो मन है। कहीं का कहीं चला जाता है लेकिन वापस वहीं आ जाता है। कोल्ह का बैल कितना भी चले, अन्त में जब वह रुककर आंख खोलता है तो देखता है कि एक ही जगह घूम रहा था। मन कितनी भी यात्रा करले, आखिर तो उसे वर्तमान में ही ठौर मिलती है।
आदमी वर्तमान में जी रहा है लेकिन चिंता भविष्य की कर रहा है। जो चीज है ही नहीं, उसकी कल्पना करता है। केवल सोचने से वह चीज थोड़े ही हो जाएगी। ऐसा ही हुआ, एक आदमी के पास एक मुर्गी थी। उसने दो अण्डे दिये । अण्डे देखकर वह सोचने लगा इन दो अण्डों से दो मुर्गियां निकलेंगी, फिर उन मुर्गियों के अण्डों से और मुर्गियां। इस तरह मेरे पास बहुत से अण्डे हो जाएंगे और फिर मैं पॉल्ट्री फार्म खोल लूंगा, खूब ऐश करूंगा। हवाई जहाज में घूमूंगा। वह ख्यालों में ही हवाई जहाज में जाने लगा है कि एक मक्खी उसके पांव पर बैठ गई। उसे उड़ाने के लिए उसने हाथ मारा तो उसकी आंख खुल गई। वह देखता क्या है कि उसके हाथ से अण्डे फूट गए हैं।
जो बात अभी हुई नहीं, भविष्य के गर्भ में है, उसकी चिंता में आदमी दुबला होता रहता है। जो होगा, देखा जाएगा। हमें जो समय वर्तमान में उपलब्ध हो रहा है, उसका उपयोग करना चाहिए। हम आज जियेंगे और कल आया तो कल भी जिएंगे। जब आदमी यह सोचेगा, तभी वह वर्तमान का आनन्द ले पाएगा। वर्तमान को जीना ही वास्तव में जीवन को जीना है। जो क्षण हमें आज उपलब्ध हुआ है, उसका सही उपयोग करना है। उपलब्ध क्षणों का, समय का उपयोग
समय की चेतना / ७०
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