Book Title: Manav ho Mahavir
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 72
________________ करने वाला ही समझदार है । समय चूक जाने के बाद तो मूर्ख भी सम्हल जाता है, समय के रहते चेतो इसी में तुम्हारी बलिहारी है । अणु और परमाणु की बात करें तो विज्ञान ने एक सूक्ष्म अणु के भी लाख हिस्से करके दिखा दिये हैं । उस लाखवें हिस्से में भी विस्फोट. 'की संभावना बता दी है जिससे कई देश सैकण्ड में समाप्त हो सकते हैं । जब अणु के एक-एक कण में इतनी ताकत है तो जरा सोचो, समय के एक-एक क्षण की कितनी क्षमता है। वह व्यक्ति मृत है जो समय का मूल्य नहीं समझता। जो समय का मूल्य आंकता है, उसके लिए जीवन का मूल्य है । मेरी समझ से तो जो आदमी प्रत्येक क्षण का उपयोग करने में लगा है वह कुछ न कुछ अवश्य कर गुजरता है । उसी से नये सृजन की नई रचनात्मकता की नई उपलब्धि की आशा की जा सकती है । सच तो यह है कि समय में जीने वाला ही हर समय सामायिक में है, समय में है और ऐसा आदमी ही अपनी चेतना में है, अपनी आत्मा में है। वह पल-पल गंगा स्नान कर रहा है । समय मनुष्य की पहली मर्यादा है । जीवन का पहला स्रोत है । समय है तो जीवन है, अन्यथा सब कफन सजा जनाजा है । , Jain Education International For Personal & Private Use Only मानव हो महावीर / ७१ www.jainelibrary.org

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