Book Title: Manav ho Mahavir
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 30
________________ होती। अच्छे लोगों की संगति होगी, तो अच्छे संस्कार आएंगे। अच्छे कर्म करने की ओर प्रेरित होओगे। मन में गंभीरता, स्थिरता और विवेक बना रहेगा । जीवन में धन तो आता-जाता रहता है। उसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है लेकिन आपकी सज्जनता चली गई, तो समझ लो सब कुछ चला गया। सज्जनता होगी तो जीवन ऊंचा उठेगा, उसके मूल्य ऊंचे उठेंगे। ये सूत्र नहीं संबोधि के दीप हैं जो आपके आगे जलाये हैं। इन्हें थाम कर स्वीकार कर जीवन को आरोग्यपूर्ण, संस्कार- युक्त बनाएं। ये आपके काम आएंगे। मानव स्वयं एक मंदिर है। काया मंदिर है और भीतर बैठी चेतना, इस मंदिर का देवता है । सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए जीवन के बाह्य और आन्तरिक दोनों पहलुओं पर ध्यान दें। मंदिर की स्वस्थ देखभाल होनी चाहिये। शरीर और मन, पूरी तरह स्वस्थ, प्रमुदित, व्यसनमुक्त हों, यह जरूरी है। चाहे मैं होऊं या आप, हर आम आदमी के लिए ये सूत्र जीवन के हर मोड़ पर ध्यान रखने योग्य हैं । नित्यं हिताहार विहार सेवी, समीक्ष्यकारी विषयेक्त सक्तः दाता समः सत्यपरः क्षमावान् आप्तोपसेवी च भवत्यरोगः । । Jain Education International For Personal & Private Use Only मानव हो महावीर / २६ www.jainelibrary.org

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