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महावीर जयन्ती के अवसर पर प्रकाशित महावीर सभी लेख बहुत ही महत्वपूर्ण है और उनके यशस्वी जयन्ती स्मारिका अनूठा प्रयास है । स्मारिका १६६३ ।। लेखकों ने उन्हें निश्चय ही बड़े श्रम से लिखा है। जैन में विभिन्न विषयों के और विभिन्न दृष्टिकोणों से प्रकाशनों में इस प्रकार की उच्चकोटि की रचनाओं लिखे गये लेख हैं। इस स्मारिका के अनेक गोधपूर्ण का संकलन विरला ही देखा जाता है। प्रकाशन निबन्ध उत्तम सामग्री से समृद्ध बनाए गये हैं। हिन्दी अभिनन्दनीय है। के विकास में जैन धर्म, अपभ्रंश साहित्य प्रादि का
- जैन सन्देश विशेष योग है। इस दृष्टि से भी यह ग्रंक संग्रहणीय है।
महावीर जयन्ती स्मारिका के लेखों को पढ़ने से इस ज्ञानवद्धक और उपयोगी अंक के लिये संपादक
हृदय प्रसन्न हो जाता है और विद्वान सम्पादक को बधाई महोदय का प्रयत्न अभिनन्दनीय है।
देने की इच्छा होती है। सभी लेख पढने और मनन -नवभारत
करने योग्य हैं। .. राजस्थान जैन सभा द्वारा महावीर जयन्ती
-श्वेताम्बर जैन स्मारिका का प्रकाशन हो रहा है । आज के इस यांत्रिक राजस्थान जैन सभा द्वारा प्रकाशित स्मारिका सभी युग में जब प्रात्मा, परमात्मा, धर्म और दर्शन सम्बन्धी दृष्टियों से सर्वाङ्ग सुन्दर बन पड़ी है। प्राचीन जैन मूल्यों का विघटन हो रहा है ऐसे प्राणजीवी और साहित्य को प्रकाश में लाने की दिशा में जैन सभा लोकोपदेशक साहित्य का प्रकाशन एक शुभ कदम है। को यह एक सराहनीय प्रयास है । ऐसी स्मारिका की यह स्मारिका जैन धर्मावलम्बी के लिये ही उपयोगी काफी अर्से से कमी महसूस की जा रही थी। ऐसी नहीं हैं वरन् जिसे कला, साहित्य और संस्कृति से स्मारिकामों का प्रकाशन प्रति वर्ष होता रहे तो साहित्य थोडा भी प्रेम है उसके लिये भी संग्रहणीय है।
की एक बहुत बड़ी कमी पूरी हो सकती है। स्मारिका __-शोध पत्रिका एवं जिनवाणी की छपाई सुन्दर है तथा पृष्ठ संख्या को देखते हुए महावीर जयन्ती स्मारिका में चयन की गई सामग्री
- मूल्य दो रुपया काफी कम हैं । ऐसे प्रकाशन का हम
__ स्वागत करते हैं। जैन धर्म, दर्शन, तत्व साहित्य, संस्कृति कला और .
-दैनिक राष्ट्रदूत संस्थान के साथ साथ कतिपय अध्यात्म मनीषियों के
सभी लेख पठनीय हैं। सभी लेखकों ने विभिन्न व्यक्तित्व और कृतित्व पर भी एक सुन्दर प्रकाश डालती विषयों पर अपने दृष्टिकोण को लेकर मौलिक एवं है। अधिकारी विद्वानों के शोधपूर्ण हिन्दी व अंग्रेजी
नूतन लेख लिखे हैं जो अत्युपयोगी हैं । प्रत्येक को निबन्धादि का यह संग्रह पाठकों को एक खुराक एवं इस विशेषांक को मंगाकर अवश्य पढ़ना चाहिये। इस विद्वानों को एक स्फुरणा और विभिन्न तथ्यों को
स्मारिका द्वारा जैन धर्म, दर्शन, कला, इतिहास आदि जानकारी देने वाला है। प्रकाशक और सम्पादक इस
की जनता को सच्ची जानकारी प्राप्त होती है। चित्र तो हेतु अवश्य ही बधाई के पात्र हैं।
बड़े ही सुन्दर हैं जिनसे वैराग्यता प्रगट होती है। ...जैन भारती, कलकत्ता
--जैनमित्र, सूरत
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