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सम्मतियां
Mahabir Jayanti Smarika Contains a mine of information of which quite a number of us are ignorant. The book is of great value to me.
Balbhadra Prasad, Vice-Chancellor, University of Allahabad.
Mhavir Jayanti Smarika presented a large volume of information on Jainism, and a number serves as a valuable Book of Reference.
--Dr. W. Nolle of Germany. राजस्थान जैन सभा, जयपुर की ओर से महावीर जयन्ती स्मारिका का प्रकाशन इधर दो वर्षों से हो रहा है । यह संकलन सदा संग्रहणीय होता है, विशेषकर स्मारिका का इस वर्ष का अंक इसके योग्य संपादक चैनसुखदासजी न्यायतीर्थ के उद्यम से सविशेष उपादेय बन पडा है । महावीर के जीवन काल के देश व समय का आकलन और चित्रण तो हुआ ही है इसके अतिरिक्त उनकी देशना और शासना का व्याख्यान भी प्रस्तुत संग्रह से प्राप्त होता है । इसके अतिरिक्त भी जैन तत्व के सम्बन्ध में प्रभावशाली और उपयोगी सामग्री एक स्थान पर संकलित मिलजाती है । पं० चैनसुखदासजी हमारी बधाई के पात्र हैं और राजस्थान जैन सभा का यह उद्यापन सराहनीय और स्तुत्य है ।
-- जैनेन्द्र कुमार, दिल्ली
महावीर जयन्ती स्मारिका १६६३ को प्रति मिली । कितनी उपयोगी सामग्री का संकलन आपने इसमें किया है | भगवान महावीर और उनके सिद्धांतों पर तो आपने रचनाएं दी ही हैं पर साथ ही अन्य विषयों का भी समावेश करके प्रापने इस संग्रह को लोकोपयोगी बना दिया है । इसकी सामग्री में उतनी विविधता है कि पाठक उसके अध्ययन से ऊबता नहीं है, बल्कि
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उसकी रुचि उत्तरोतर बढती है । सबसे बडी विशेषता यह है कि इसको सभी रचनाएं गंभीर और ज्ञानवर्द्धक हैं ।
प्राजके युग में जबकि लोक रुचि हलकी-फुलकी चीजों की प्रोर श्राकर्षित हो रही है, इतनी गंभीर सामग्री देना साहस का काम हैं और में इसके लिये हृदय से प्रभिनंदन करता हूं। मुझे आशा है कि प्रति वर्ष इस प्रकार की स्मारिका निकालने का आपका संकल्प पाठकों के लिये अत्यन्त लाभदायक सिद्ध होगा और परिश्रम से स्थायी महत्व की बहुत सी सामग्री एकत्र हो जायगी । - यशपाल जैन, दिल्ली
महावीर जयन्ती स्मारिका को प्रति मिली, इसे देखकर बड़ी प्रसन्नता हुई । कलेवर को देखते हुये आपने इसमें काफी खोजपूर्ण, रोचक और उद्बोधक सामग्री जुटादी है । इस महत्वपूर्ण प्रकाशन के लिये मेरी हार्दिक बधाई ।
-- सत्यनारायण मिश्र, बम्बई
आपकी भेजी महावीर जयन्ती स्मारिका मिली । इसके लिये प्रभारी । स्मारिका को वाचनक्षम सामग्री देखकर प्रसन्नता हुई ।
- कस्तूरभाई, अहमदाबाद
महावीर जयन्ती स्मारिका के लेख, चित्र, कागज छपाई, गेटअप सब एक से एक उत्कृष्ट | जैनकोषसाहित्य, यशस्तिलक का अध्ययन, वेदों में ग्रहिंसा समन्वय की आवश्यकता आदि लेख तो बहुत ही उत्कृष्ट हैं । वस्तुतः प्राज के घासलेटी साहित्ययुग में आपका यह कार्य सवर्था प्राशातीत, उत्कृष्ट तथा अभिनंदनीय है । सफलता के लिये हमारी हार्दिक बधाई स्वीकार करें 1
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- चिम्मनलाल गोस्वामी,
सम्पादक, कल्याण
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