Book Title: Mahakavi Harichandra Ek Anushilan
Author(s): Pannalal Sahityacharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ चतुर्थाध्याय मनोरंजन __ चतुर्थ अध्याय के पांच स्तम्भ हैं। उनमें से प्रथम स्तम्भ में मनोरंजन का निदर्शन कराते हुए पुष्पावश्चय और जलक्रीड़ा का वर्णन किया गया है। पुष्पावचय में स्त्रियों की सरलता और पुरुषों की बंधकता का अच्छा चित्रण हुआ है । जलक्रीड़ा भी कौतुक बनानेवाली है। इस सन्दर्भ में शिशुपालवत्र, धर्मशर्माभ्युदय और जीवन्धरसम्पू के विविध उद्धरण देकर उनकी समीक्षा की गयी है। प्रकीर्णक निर्देश वित्तीय स्तम्भ में शिशुवर्णन, प्रयोधगीत, स्वयंकर-वर्णन, पम्त्रग्रहण और जरा का अद्भुत वर्णन, सज्जन-प्रशंसा, दुर्जन-निन्दा, पुत्र के अभाव में होनेवाली विफलता और तीर्थकर की जननी-सुव्रता द्वारा स्वप्न-दर्शन इन सबका पृथक-पृथक् लेखों में वर्णन है । धर्मशर्माभ्युदय का स्वयंवर-वर्णन रघुवंश के स्वयंवर-वर्णन से प्रभावित है, इसका उद्धरणों द्वारा समर्थन किया गया है। जीवन्धरा का प्रयोधगीत भी रघुवंश के प्रबोधगीत का अनुसरण करता है, यह बतलाया गया है। पुत्र के अभाव में होनेवाली विकलता का वर्णन करते समय चन्द्रप्रभ में प्रतिपादित विकलता का भी वर्णन किया गया है । इस स्तम्भ में चन्द्रग्रहण तथा जरा के अद्भत वर्णन पर प्रकाश डालते हुए उस प्रकरण के अनेक श्लोक उद्धृत किये गये है। नीतिनिकुंज नीदिनिकुंज नामक तृतीय स्तम्भ में दोनों ही ग्रन्थों में आये हुए सुभाषितों का पृथक-पृथक् संग्रह किया गया है। सुभाषित, उस प्रकाश स्तम्भ के समान है जो पथभ्रान्त पुरुषों को सही मार्ग पर लगाया करते हैं 1 अप्रस्तुत-प्रशंसा अथवा अर्थान्तरन्यास के रूप में अनेक सुभाषित इन ग्रन्थों में अवतीर्ण हुए हैं। सुभाषितों के अतिरिक्त धर्मशर्माभ्युदय में राजा महासेन के द्वारा युवराज धर्मनाथ के लिए जो नीति का उपदेश और राज्य शासन का दिग्दर्शन कराया गया है वह बाण के शुकनासोपदेश का स्मरण कराता है। इस सन्दर्भ में चन्द्रप्रभचरित के नीत्यूपवेश का भी उल्लेख हुआ है। भक्तहृदय जीवन्धरकुमार ने तीर्थयात्रा के प्रसंग में जहां-तहाँ जिनेन्द्र भगवान् की जो स्तुति की है उसका 'भक्तिगंगा' नाम से निदर्शन किया गया है। सामाजिक दशा और युद्ध निदर्शन इस स्तम्भ में जीवन्धरचम्पू से प्रतिफलित होनेवाली सामाजिक वशा का वर्णन करते हुए वैवाहिक, परिधान, राजनयिक, युद्ध और वाहन, शैक्षणिक, यातायात और धार्मिक व्यवस्थाओं पर प्रकाश डाला गया है। धर्मशर्माभ्युदय तथा जीवन्धरसम्पू के

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 221