Book Title: Kuvalaymala Kaha Ka Sanskritik Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Prakrit Jain Shastra evam Ahimsa Shodh Samsthan

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Page 19
________________ अ० को ० अ० शा० आ० चू० आ० नि० का० मी० का०रा० नि० चू० म० भा० मनु० मेघ ० पा० स० सो० यश ० सं० २० अ०-ह० अ० अ० ए० टा० अ० प्रा० भौ० स्व० उ० कुव० इ० उ० भू : अमरकोश : अर्थशास्त्र ह० स० क० : हरिभद्र - समराइच्च कहा अ० - का० स०अ० : अग्रवाल, कादम्बरी - एक सांस्कृतिक अध्ययन : अग्रवाल, पाणिनिकालीन भारतवर्ष अ०पा० भा० : अग्रवाल, हर्षचरित - एक सांस्कृतिक अध्ययन : अल्तेकर, एंशियण्ट टाउन्स एण्ड सिटीज इन गुजरात एण्ड काठियावाड़ : अवस्थी, प्राचीन भारत का भौगोलिक स्वरूप उ०- पू० भा०३० उ०- प्रा० सां०भू० क० ए० ज्यो० ज०-ला० जै० कै० सन्दर्भग्रन्थ- संकेत : आचारांगचूर्णी, जिनदासगणि रतलाम : आवश्यक निर्युक्ति, भद्रबाहु : काव्यमीमांसा : कल्हण - राजतरंगिणी : निशीथ चूर्ण, सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा : महाभारत : मनुस्मृति : मेघदूत : पाइयसद्दमहण्णवो : सोमदेव - यशस्तिलकचम्पू : संगीत रत्नाकर : उपाध्ये, कुवलयमाला ( द्वितीय भाग ), इन्ट्रोडक्शन : उपाध्याय, वी० एस० बुद्धकालीन भारती भूगोल 3 : उपाध्याय, पूर्व मध्यकालीन भारतीय इतिहास : उपाध्याय, प्राचीन भारतीय साहित्य की सांस्कृतिक भूमिका : कनिंघम, एन्शियण्ट ज्योग्राफी आफ इण्डिय : जगदीशचन्द्र, लाइफ इन एन्शियण्ट इण्डिया एज डिपिक्टेड इन जैन केनन्स ब० - जै० भा०स० : जगदीशचन्द्र, जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज जाम० - कु०क०स्ट० : जामखेढकर : कुवलयनाला - ए कल्चरल स्टडी जै० भा० सं० यो० : जैन, हीरालाल, भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान : जैन, जी० सी०, यशस्तिलक का सांस्कृतिक अध्ययन जं० - यश ० सां० अ० डे० - ज्यो० डिक्श० : डे, एन० एल०, ज्योग्राफिकल डिक्शनरी आफ एन्शियण्ट एण्ड मिडिएवल इण्डिया

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