Book Title: Kshama Rushi Author(s): Lalitvijay Publisher: Atmtilak Granth Society View full book textPage 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२) भद्र-सूरिजी महाराज का पुनीत जीवनचरित्र लिखकर आज हम उनके शिष्य-संप्रदायमें से एक भावितात्मा-तपस्वी अणगार 'श्रीक्षमा ऋषिजी' का चरित्र लिखनेका उपक्रम करते हैं-प्रसिद्ध है कि " महात्मनां कीर्तनं हि, श्रेयो निश्रेयसास्पदम् ” मेवाड़ के मुख्य और सुप्रसिद्ध शहर चित्तोके पास बडगाम नामक एक गांव था, वहां पूर्वोपार्जित लाभान्तरायके वशसे धनरहित “बोहा" नामक एक गरीब मनुष्य धर्मकर्मपरायण स्वल्पलाभसे भी संतुष्ट वृत्तिक अपने मानवजीवनको सुखसे व्यतीत कर रहा था, चित्तोड़के बाजारमें, वह घी, तेल, बेचकर अपना निर्वाह किया करता था । एक 'समयका जिकर है कि वह पांच रुपयेका घी (१) अभी मुद्रित नहीं हुआ ! For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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