Book Title: Kshama Rushi
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Atmtilak Granth Society

View full book text
Previous | Next

Page 43
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४०) पड़े हैं तड़फते हैं, आलोटते है, कान फटका रहे हैं और कूकते हैं। ऐसी हालतमें अमर कोई शख्स आपके चरणोंका जल लेनेको आवे तो आपने इनकार न करना इसमें जिन शासनकी प्रभावना होगी। यह कह कर देवता चला गया। राजा हाथियोंकी व्यथासे दुखी था। वैद्योंके उपचार भी निकम्मे हो चुके थे, मंत्रवादी भी अपना जोर लगा चुके थे, आखिर कुछ आराम न होने पर राजाने यह उद्घोषणा कराई कि-"जो इन हाथियोंको आराम कर देगा उसे आधा राज्य दूंगा" उसवक्त आकाशवाणी हुई कि-कंबलगिरि पर्वतकी गुफामें क्षमाऋषिजी तप तपते हैं उनका चरणोदक लाकर छांटा जाय तो हाथी नीरोग हो सक्ते हैं।" राजाने प्रसन्न होकर मंत्रीको कंबलगिरी गुफामें भेजा मंत्री पानी लेकर आया और छांटनेकी तयारी ही थी कि एक तापस For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46 47 48