Book Title: Kshama Rushi
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Atmtilak Granth Society

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Page 41
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (३८) मुनिराजके तपोबलसे पशुके मनमें दान देनेकी तीब्र इच्छा हुई, उसने एक दुकान पर गुड़का ढेर देखा, उसके मनमें तादृश मनोरथ होनेसे उसने सींगोंसे गुड़ उठा कर मुनिको दिया । इस वक्त भी इस अपूर्व घटनाको देखकर लोगोंको श्रद्धा भक्तिका लाभ हुआ !। जिस दुकानदारका गुड़ मुनिराजके पारणेमें काम आया था उसने अपने तमाम गुड़को वेचकर एक मंदिर बनवाया। श्रीपार्श्वनाथ स्वामीकी प्रतिमा स्थापन कर अपनी न्यायोपार्जित लक्ष्मीका सदुपयोग किया । और अति विशुद्ध परिणाम आनेसे श्रीजिनधर्मका प्रत्यक्ष चमत्कार देखनेसे उसकी आस्था यहां तक ऊंची बढ़ गई कि उसने घर गृहिणी छोड़ कर श्रीयशोभद्र सूरिजीके पास दीक्षा स्वीकार की। For Private And Personal Use Only

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