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( ४३ )
प्रभो ! यह धन व्यवहारीका लड़का था । आजसे छः महीने पहले इसे सांप काट गया था। आज तक अगणित उपचार किये परन्तु आखीर किसी तरह लड़का न बच सका । मुनिराजने कहा ठहरो उतावल मत करो लड़का जीता है" भद्रश्रेष्ठीने खुश होकर कहा प्रभु ! मैं संसारी जीव हूं यह एकका एक लड़का है, इस पर ही मेरे जीवनका आधार है. आप गुरु देवकी कृपा से यदि लड़का जीवित हो जावे तो मेरी अलूट लक्ष्मी सफल हो सक्ती है और मेरी अन्तिम अवस्था भी सुखसे व्यतीत हो सक्ती है,
मुनिराजने फापानी लेकर नमस्कार महामंत्र से मंत्रित कर तीन दफा छांटा कि तत्काल सोता मनुष्य उठकर बैठ जावे ऐसे लड़का सावधान हो गया । इस चमत्कारको देख कर सर्व मतावलंबि लोगोंने पवित्र निष्कलंक - सर्वज्ञ शासनकी प्रशंसा की । धन शेठने सम्यक्त्व मूल १२ व्रतोंको स्वीकार किया.
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