Book Title: Kshama Rushi
Author(s): Lalitvijay
Publisher: Atmtilak Granth Society

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२२) परंतु इन कम नसीबोंको ठंडे पानीसे दाह हुआ यह भी इनके दैवका कोप नहीं तो और क्या ? अस्तु अन्तिम शिक्षामात्र इतनी ही है कि-गुणवानोंकी उपासना करो। जिससे तुम अपने मनुष्य भवको सफल कर सको। देवताके इन शिक्षावाक्योंका रटन करते हुए और मुनिपुंगव क्षमाऋषिके सद्गुणोंका महान् आदर करते हुए उन ब्राह्मणोंने तपस्वीके चरणोंका स्नात्र जल पिया, तत्काल वे युवक बंधनोंसे मुक्त हुए । वेदना रहित हुए । और यावज्जीव तक ऐसे ऋषिवरोंकी सच्ची उपासना करनेका दृढ निश्चय करके अपने स्थान पर चले गये । इतना पक्ष करनेवाले उस देवपर और निष्कारण ताड़न करनेवाले उन ब्राह्मणों पर मुनिकी मनोवृत्ति समान थी उन युवकोंके मातापिता स्वजन संबंधिलोगोंने महात्माके आगे बहुत कुछ रुपया पैसा भेट For Private And Personal Use Only

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