Book Title: Kshama Rushi Author(s): Lalitvijay Publisher: Atmtilak Granth Society View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir "हे प्रभो, मुझे ऐसी शक्ति दे, जिससे मेरा दुर्बल हृदय निःस्वार्थ और निरपेक्ष हो जावे । मुझे वह परमार्थ बतला दे, जिससे निःश्रेय प्राप्ति हो। मैं उस सर्व श्रेष्ठ ज्ञानको प्राप्त करना चाहता हूँ जिसके द्वारा तेरा यथार्थ रूप जान सकूँ । मुझे वह सामर्थ्य दे, जिससे संसारके तुच्छ धनाधिकारियों के आगे न झक कर दीन दुखियोंको तेरी सेवामें हाथ पकड़ कर ला सकुँ । मैं उस शुद्ध बुद्धिको चाहता हूँ, जिसके सहारेसे तेरे प्रेमके बाधक सहजही में हट जावें । हे नाथ, मुझे वह ऐश्वर्य दे; कि जिससे मैं अपना पराया भूलकर निरन्तर विश्व सेवा ही किया करूं। मेरे शिथिल शरीरमें उस बल का संचार कर दे, कि मैं वासना की अजेय दुर्गमालाको क्षण भरमें कुचल डालूं। मेरा संकुचित हृदय इतना विशाल कर दे, कि मैं उसमें तेरे विराट रूपका ध्यान कर सकूँ। मेरी चर्मचक्षुओंमें वह जादू भर For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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