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(११) आप श्रीजीका बताया स्थान मुझे पूर्ण कल्याण साधन होगा इसमें जरा मात्र भी संदेह नहीं । गुरुमहाराजने उस निकट भवी शिष्यरत्नकी प्रार्थनाको ध्यानके साथ सुना और जवाबमें कृपालु भावनासे फरमाया कि -" यदि तुम्हारी ऐसी ही तीव्र इच्छा है तो अवंती तर्फ जाओ तुम्हारा धर्ममनोरथ सिद्ध होगा"
आत्मकल्याणकी विशुद्ध तीव्र भावनासे उस मुनिको तीर्थस्वरूप श्रीसंघने भी पुनः पुनः आशीर्वाद दिया । अनेकानेक धार्मिक शिक्षा वचनोंसे उनके पवित्र हृदयको अधिकाधिक उत्साहित किया । मुनिजी प्रस्थित होकर धाममउद्र गामके बाहिर किसी तालावके किनारे पर एकान्त जगहमें रह ध्यान करने लगे। एकदफा ब्राह्मणोंके युवक लड़के खेलते हुए
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