Book Title: Katantra Vyakaranam Part 04
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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परिशिष्टम्-४
७१७ २४. पञ्जिका (विवरणपञ्जिका) २, ५, ८, ११, १५, २६, ४२, ५४,
५८, ६१, ६७, ७०, ७८, ८५, ८६, ९९, १०१, ११८, १२७, १३६, १४४, १५२, १६१, १९३, २०६, २१९, २२८, २५०, २५३, २५४, ३१२, ३२२, ३५२, ३६७, ४१३,
५११, ५१६ २५. पञ्जी (विवरणपञ्जिका) ८९, १४४, १६१, १८२, २३५,
२९३, ३०८, ३१६, ३५३, ३६२, ३९१, ४०५, ४२४, ४२६, ४३०, ४३४, ४८४, ५२३, ५२५, ५२९, ६१०, ६१७, ६२९, ६३५, ६३८,
६३९, ६५० २६. पत्राङ्कुरः
५२६ २७. पाणिनीय व्याकरण २८. प्रक्रियासर्वस्वम्
१४० २९. बृहदेवता
१५७ ३०. भट्टिकाव्यम्
४३, ३९१, ४५९, ४८३ ३१. भागवृत्तिः
१३४ ३२. भाष्यम् (महाभाष्यम्)
८४, ४३४, ४६६,६१८, ६२३ ३३. महाभारते
४०९ महाभाष्यम्
१५७ ३५. माघस्य (शिशुपालवधमहाकाव्यस्य)४०९ मुग्धबोधव्याकरण
१५७ ३७. मुरारौ (मुरारिग्रन्थे)
५११ ३८. मेदिनीकोशः
५०२ ३९. रघुः (रघुवंशमहाकाव्यम्) ४६, ५२८ ४०. राजतरङ्गिणी
१४० ४१. रामभद्री टीका
१५७ ४२. वाक्यपदीयम्
२, १५१ ४३. वाजसनेयिप्रातिशाख्य
१५७ ४४. वार्तिकम् (वार्तिकग्रन्थः) १२२ ४५. विवरणपञ्जिका
अधिकांश सूत्रों पर उपलब्ध व्याख्या
(वि० प०)। ४६. विवरणे
१६९
३४.

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