Book Title: Katantra Vyakaranam Part 04
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 794
________________ ७५६ ११४३. प्रगाय ११४४. प्रगृह्यं पदम् ११४५. प्रग्रह: ११४६. प्रग्राहः ११४७. प्रग्राहेण ११४८. प्रघणः ११४९. प्रघस: ११५०. प्रघाण: ११५१. प्रच्छदः ११५२. प्रच्छर्दिका ११५३. प्रच्छित् ११५४. प्रज: ११५५. प्रजग्ध्य गतः ११५६. प्रजनिष्णुः ११५७. प्रजन्य ११५८. प्रजवी ११५९. प्रजाय ११६०. प्रज्याय ११६१. प्रणत्य ११६२. प्रणम्य ११६३. प्रणाय्यश्चौरः ११६४. प्रणीः ११६५. प्रतत्य ११६६. प्रतान् ११६७. प्रतामौ ११६८. प्रतिगृह्यम् ११६९. प्रतिग्राह्यम् ११७०. प्रतिशीन: ११७१. प्रतिशीनवान् ११७२. प्रत्तम् कातन्त्रव्याकरणम् ८०/११७५. प्रथमं भोजं व्रजति १८७११७६. प्रदाय ४५० ११७७. प्रदाही ४५० ११७८. प्रदीव्य ४४७ ११७९. प्रद्युतितः ४७१|११८०. प्रद्योतितः ११७३. प्रत्यङ् ११७४. प्रथमं भुक्त्वा व्रजति ४६१ ११८१. प्रद्राव: ४७१११८२. प्रद्रावी ३९ ११८३. प्रधाय ४९४|११८४. प्रधुक् ३०२११८५. प्रध्रुक् ३३५ ११८६. प्रपतन: १३८ ११८७. प्रपदनः ३६३|११८८. प्रपातुकः १२५११८९. प्रपादुकः ३८४|११९०. प्रपाप्रदः १२५ ११९१. प्रपाय ९६ ११९२. प्रपीति: ११४|११९३. प्रफुल्तः ११४,५९१|११९४. प्रफुल्तिः १९८ ११९५. प्रभाकर: ३०२ ११९६. प्रभावुकः ११३|११९७. प्रभित् १०३,६०६ ११९८. प्रभुः ६०८|११९९. प्रभुर्भोक्तुम् १८६ १२०० प्रमत्य १८६ १२०१. प्रमदः ९४ १२०२. प्रमद्वरः ९४ १२०३ प्रमाथी १३६ १२०४. प्रमाय २९७ १२०५. प्रमेदितः ५३४ १२०६. प्रयत्य ५३४ ८० ३७३ ५९१ ३७ ३७ ४४२ ३७१ ८० ३०२ ३०२ ३८१,५८० ३८१ ३८२ ३८२ २३८ ८० ४८१ १३३ १३३ २५४ ३८२ ३०२ ४०२ ५१४ ११३ ४६२ ३९४ ३७२ ८० ३६,६३३ ११४

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