Book Title: Katantra Vyakaranam Part 04
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 797
________________ ७५९ ५६२ ३७७ ७७,५८४ ४१० ४६२ २०७ ५९४ १७१ २६९ २६९ २४० ३२७ २९८ ४८४ ५५१ परिशिष्टम्-८ १३३५. भीरुः ४०० १३६७. भ्रूविक्षेपं जल्पति १३३६. भीलुः ४००/१३६८. मण्डनः १३३७. भीषा ४९१/१३६९. मण्डयन्त: १३३८. भीष्मः ५८०/१३७०. मत: १३३९. भक्त्वा पीत्वा व्रजति ५२९/१३७१. मदः १३४०. भुक्त्वा भुत्तवा व्रजति ५३१/१३७२. मदन: १३४१. भुक्त्वा व्रजति ५२९/१३७३. मद्गुः १३४२. भुनः, भुनवान् ५९३,६४७/१३७४. मद्यम् १३४३. भुजः ६००/१३७५. मद्रकार: १३४४. भुजगः २७४/१३७६. मद्रङ्करः १३४५. भुजङ्गमः २७२/१३७७. मधुरगी १३४६. भूरिदावा २९५/१३७८. मन्त्रकृत् १३४७. भूषण: ३७७/१३७९. मन्त्रस्पृक् १३४८. भूष्णुः ३६५/१३८०. मन्या १३४९. भृगुः ५९४|१३८१. मयूरिकाबधम् १३५०. भृत्य: १८५/१३८२. मरीमृजः १३५१. भृत्यम् १८५/१३८३. मर्षितः १३५२. भृत्या ४८४|१३८४. मर्षितवान् १३५३. भोक्तव्य ओदनः ५७५/१३८५. मर्षित्वा १३५४. भोक्ता ५९३/१३८६. मलग्रहिः १३५५. भोक्तुं काल: १५५,५१४/१३८७. महिषीपोषम् १३५६. भोक्तुं वेला ५१४|१३८८. मांसकामा १३५७. भोक्तुं समय: ५१४/१३८९. मांसपाकः १३५८. भोगः ५९३/१३९०. मांसभक्षा १३५९. भोगी ३६९/१३९१. मांसविक्रयी १३६०. भोजं भोजं व्रजति ५३१/१३९२. मातृघाती १३६१. भोज्यं पयः ५९९/१३९३. मातृपोषम् १३६२. भोज्यमन्त्रम् ५९९/१३९४. मार्यम् । १३६३. भ्रमी ३६८/१३९५. मितः १३६४. भ्राजिष्णुः ३६३/१३९६. मितङ्गमो हस्ती १३६५. भ्राष्ट्रादपकर्षम् १५६/१३९७. मितम्पचा ब्राह्मणी १३६६. भ्रूणहा २६/१३९८. मितवान् ३६ ३२ २५७ ५४९ २३३ ३३० ३२५ ५४९ १८९ १२९ २७२ २६५

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