Book Title: Katantra Vyakaranam Part 04
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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७५८
१२७१. फलेपाकः
१२७२. फाण्टम्
१२७३. फुल्लः
१२७४. फुल्लवान्
१२७५. वभज्वान्
१२७६.
बर्हक:
१२७७. वर्हणम् १२७८. बर्हति
१२७९. बलिकर:
१२८०. बहुकरः १२८६. बाढं भृशम्
१२८२. बालधिः
१२८३. बाहुकरः
१२८४. बाहुघ्नः
१२८५. विन्दुः १२८६. बिभ्यत्
१२८७. बुद्धः
१२८८. बुद्धिः १२८९. बुद्धिजः
१२९०. बृंहकः
१२२१. बृंहणम् १२९२. बृंहति
१२९३. ब्रह्मदुघा गौः
१२९४. ब्रह्मभूयं गतः
१२९५. ब्रह्मवद्यम्
१२९६. ब्रह्मवद्या
१२९७. ब्रह्महत्या १२९८. ब्रह्महा
१२९९. ब्रह्मोद्यम् १३००. ब्रह्मोद्या १३०१. ब्राह्मणजो धर्मः १३०२. भक्तिकरः
कातन्त्रव्याकरणम्
५९३ १३०३. भक्तत्वा
६३६ १३०४. भवा ६५६/१३०५. भङ्गुरम्
६५६ १३०६. भयङ्करः
३४३ १३०७. भवः
११९ १३०८. भवादृक
११९ | १३०९.
भविष्णुः
११९ १३१०. भव्यम्
२५४ १३११. भस्म
२५४ १३१२. भा:
६३६ १३१३. भागी
४७९ १३१४. भाव: २५४|१३१५. भावि कृत्यमासीत्
२८१ १३१६. भावी
३९७१३१७. भास:
२० | १३१८. भासुरः ४१०/१३१९. भासौ
४८०, ६१७ १३२०. भास्कर:
३३४ १३२१. भास्वर:
११९ १३२२. भित्
११९ | १३२३. भित्तं शकलम्
११९ १३२४. भिदा
२९१|१३२५. भिदुरः १७९ १३२६. भिद्यः
१७८ १३२७. भिन्न
१७८|१३२८. भिन्नवान्
१८१ १३२९. भिक्षाक:
३२६ १३३०. भिक्षाकी
とこ こと
२०६.२१६
६०३
३६३
१६८
४१२
४०१
३६९
२१६,४३९
५२१
४१४
४०१
३८८
とこ?
२७४
३९४
३०२
६५८
४९०
३८९
१९०
१४१
१४१
३८३
३८३
२४९
२४९
३९७
५८०
१७८ १३३१. भिक्षाचरः
१७८ १३३२. भिक्षाचरी
३३४ १३३३. भिक्षुः
२५४ १३३४. भीमः

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