Book Title: Katantra Vyakaranam Part 04
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 808
________________ ७७० कातन्त्रव्याकरणम् २०३६. हारितवान् ७५ /२०६३. क्षयः ४६० २०३७. हासः, हिंसकः ४६३,३७५ २०६४. क्षयी ३८५ २०३८. हिंस्रः ३९६/२०६५. क्षय्यम् २०३९. हितः १३२ २०६६. क्षवः ४६० २०४०. हितवान् १३२ २०६७. क्षाम: ६५१ २०४१. हिति: १३२ २०६८. क्षामवान् ६५१ २०४२. हित्वा १२८,१३२ २०६९. क्षिण्ण: ६३१ २०४३. हूतः १०० २०७०. क्षिण्णवान् ६३१ २०४४. हृदयङ्गमा वाचः २७२ २०७१. क्षिपः २०४५. हृषितम् ६४२ २०७२. क्षिप्नुः २०४६. हषिता: ६४२ /२०७३. क्षिया ४९० २०४७. हृषितानि ६४२ २०७४. क्षीण: ६४८ २०४८. हृष्टम् ६४२ २०७५. क्षीणवान ६४८ २०४९. हष्टा: ६४२ २०७६. क्षीबः ६५६ २०५०. हृष्टानि ६४२ २०७७. क्षीरपायिण उशीनराः । ३१५ २०५१. हे करिष्यन् ४२२ २०७८. क्षुधित: २०५२. हे करिष्यमाण! ४२२/२०७९. क्षुधितवान् २०५३. हेति: ४८१ /२०८०. क्षुधित्वा ६२५ २०५४. हे पचन्! ३४६ २०८१. क्षुब्धो मन्थः ६३६ २०५५. हे पचमान! ३४६ २०८२. क्षेत्रकर: २५४ २०५६. ह्रीण: ६५२ २०८३. क्षेदितम् ३६ २०५७. ह्रीणवान् ६५२ २०८४. क्षेमकारः २६९ २०५८. ह्रीत: ६५२ २०८५. क्षेमङ्करः २६९ २०५९. ह्रीतवान् ६५२/२०८६. क्षेष्णुः ३६६ २०६०. क्षणेपाक: ५९४२०८७. मायिता ३८१ २०६१. क्षत्रियजं युद्धम् ३३४ २०८८. क्ष्विण्ण: ४१० २०६२. क्षभी ३६८/ ६२६

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