Book Title: Katantra Vyakaranam Part 04
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 801
________________ १५९१. वसुन्धरा पृथ्वी १५९२. वस्त्रक्नोपं वृष्टो देवः १५९३. वहंलिहा गौः २६६ १६२३. विदन् ५०३ | १६२४. विदन्तौ १५९४. वहः १५९५. वहनीया खलु भवता कन्या १६२५. विदा ५१५१६२६. विदुरः १५९६. वहभ्रट् १५९७. वह्यं शकटम् १५९८. वाक्यम् १५९९. वाचंयमः १६००. वाच्यम् १६०१. वाजपेययाजी १६०२. वातघ्नं तैलम् १६०३. वातहरम् १६०४. वातापिः १६०५. वाप्यम् १६०६. वायुः १६०७. वाचें हंस: १६०८. वावदूकः १६०९. वासन: परिशिष्टम् - ८ २७१ | १६२१. वित्तपोषम् ५४४ | १६२२. वित्तवान् १६१०. वाह्या खलु भवता कन्या १६११. विकत्थी १६१२. विकाषी १६१३. विगणय्य १६१४. विघनः १६१५. विघसः १६१६. विचर्चिका १६१७. विजावा १६१८. वित् १६१९. वित्तं द्रव्यम् १६२०. वित्तः २९८ | १६२७. विदुषिम्मन्या १७५ १६२८. विद्या १९४ | १६२९. विद्वांसौ ५९ १६३०. विद्वन्मन्यः ५९७ १६३१. विद्वन्मानिनी ३२४|१६३२. विद्वन्मानी २८० | १६३३. विद्वान् २४२१६३४. विद्विट् २५७१६३५. विधविता १९५१६३६. विधि: ४१२,५८१ १६३७. विधुन्तुदः २७६ १६३८. विधोता ३९० | १६३९. विनयः २०७१६४०. विनाशक: १६४१. विनीयः ५१५१६४२. विन्दः ३७१ | १६४३. विन्नः ३७१|१६४४. विन्नवान् ७९ | १६४५. विपूयः ४७२१६४६. विप्रलम्भ: १३९,४६१ १६४७. विभाकरः ४९४ | १६४८. विभुः १२२,२९६| १६४९. विभ्राट् ३०२ १६५०. विभ्राज: ६५५ १६५१. विभ्राजौ ६५२ १६५२. वियमः ७६३ ५४९ ६५२ २०,३४९ ३४९ ४९० ३९० ३१८ ४८४ ३४९ ३१९ ३१८ ३१९ ३४९ ३०२ ६२१ ४७९ २६२ ६२१ ५०२ ३७५ १८८ २१५ ६५२ ६५२ १८८ ५५ २५४ ४०२ ४०१ ४०१ ४०१ ४६३

Loading...

Page Navigation
1 ... 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824