Book Title: Katantra Vyakaranam Part 04
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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कातन्त्रव्याकरणम् १०१५. पटुम्मन्य:
३१९/१०४७. परिवीय १०१६. पटुम्मन्या ३१९/१०४८. परिवृढः
६३९ १०१७. पटौतिः
६५८१०४९. परिव्याय १०१८. पठः २०६/१०५०. परिसर्या
४८५ १०१९. पण: ४६५/१०५१. परिसारी
३७२ १०२०. पण्यं विक्रेयद्रव्यम् १७४/१०५२. परिक्षेपकः
३७४ १०२१. पतग: २७४/१०५३. परिक्षेपी
३७४ १०२२. पतयालुः ३८६/१०५४. परीतत्
१२० १०२३. पतिंवरा कन्या २७१/१०५५. परीत्तम् १०२४. पतिघ्नी २८०/१०५६. परीष्टिः
४९४ १०२५. पत्रम् ४०४१०५७. पर्णध्वत्
२९७ १०२६. पथिप्रज्ञः
२३८/१०५८. पर्याप्नो भोक्तुम ५१४ १०२७. पथिप्राट १०६/१०५९. पर्येषणा
४९४ १०२८. पदकृत्
३२७/१०६०. पलाशशातनम् ५०१ १०२९. पन्नगः
२७४/१०६१. पलितङ्करणं तैलम् २८४ १०३०. पपिवान्
६१२/१०६२. पलितम्भविष्णुः २८७ १०३१. परन्तपः शक्रः २६६/१०६३. पलितम्भावुक:
२८७ १०३२. परिखा २७६/१०६४. पवमानः
३५५ १०३३. परिघः
४७२/१०६५. पवितः ३५,६२७ १०३४. परिचर्या
४८४/१०६६. पवितवान् ३५,६२७ १०३५. परिचाय्यः २०१/१०६७. पवित्रम्
४०६ १०३६. परिजः
३३५/१०६८. पवित्रा नाम नदी ४०६ १०३७. परिणायेन शारीनाहन्ति ४५६/१०६९. पवित्रोऽग्निः
४०७ १०३८. परिदेवक: ३७४,३७६/१०७०. पवित्रोऽयमृषिः ४०७ १०३९. परिदेवी ३७४१०७१. पवित्वा
६२२ १०४०. परिभवी ३८५/१०७२. पक्ष्णुः
३६६ १०४१. परिभाव: ४५२/१०७३. पाक:
४२७,५९३ १०४२. परिमाक्ष्र्णः ३६६/१०७४. पाका:
४२७ १०४३. परिराटक:
३७४/१०७५. पाकाय व्रजति ४१८ १०४४. परिराटी ३७४/१०७६. पाको
४२६ १०४५. परिवादकः ३७४/१०७७. पाक्यम्
१९४ १०४६. परिवादी
३७४/१०७८. पाचकः १५७,२०५,५८४
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