Book Title: Katantra Vyakaranam Part 04
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 778
________________ ८० २१७ ३०२ ७४० ११९. अलंकरिष्णुः १२०. अलं कृत्वा १२१. अलं भोक्तुम् १२२. अलवणभोजी १२३. अवगूर्णः १२४. अवगूर्णवान् १२५. अवगृह्यं पदम् १२६. अवग्राहः १२७. अवग्राहो वर्षस्य १२८. अवच्छात: १२९. अवच्छाति: १३०. अवच्छितः १३१. अवदाघः १३२. अवदाभ्यम् १३३. अवद्यम् १३४. अवनाय: १३५. अवयाः १३६. अवशीन: १३७. अवशीनवान् १३८. अवश्यंकारी १३९. अवश्यंदायी १४०. अवश्यपाच्यम् १४१. अवश्यभोज्यम् १४२. अवश्यलाव्यम् १४३. अवश्यान: १४४. अवश्यानवान् १४५. अवश्यायः १४६. अवसर्ग: १४७. अवसाय १४८. अवसाय: १४९. अवसितः १५०. अवसितवान् कातन्त्रव्याकरणम् ३६३ | १५१. अवसिति: १३० १५४,५२३ |१५२. अवस्तार: ५०३ ५१४ १५३. अवहाय ३१४ १५४. अवक्षायः ४३५ ६४४ १५५. अवहारः ६४४१५६. अवावरी १२२ १८७ /१५७. अव्यथी ३८५ ४४७ १५८. अव्यथ्यः १९० ४४९ /१५९. अशमि १२ १३१ /१६०. अश्राद्धभोजी ३१४ १३१ १६१. अश्वत्थामा २९४ १३१ १६२. अश्वयुक् |१६३. असूयकः ३७५ |१६४. असूर्यम्पश्यानि मुखानि २६४ १७४ |१६५. असूर्यम्पश्या राजदारा: २६४ ४४२ १६६. अस्तुङ्कारः ५१ २९३ १६७. अस्थिहर: २४२ ९५ /१६८. अहस्करः २५४ ९५ १६९. अक्षयू: १०६,२९७ ५१७ /१७०. अक्षिकाणं हसति ५६३ ५१७/१७१. आक्रीडी ३६९ ५९६ /१७२. आक्रोशक: ३७६ ५९६ /१७३. आगामी ४१४ ६४ |१७४. आगामुकः ३८२ ९५ १७५. आघातुकः ३८२ ९५ १७६. आचाम: ५०४ २१८ १७७. आचाम्यम् १९५ ५९४ |१७८. आचारः ५०४ ८० १७९. आज्यम् ५९५ २१७ |१८०. आढ्यङ्करणं वित्तम् २८५ १२९ १८१. आढ्यम्भविष्णुः २८७ १३० | १८२. आढ्यम्भावुकः २८७

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