Book Title: Katantra Vyakaranam Part 04
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 776
________________ परिशिष्टम्-८ रूपसिद्धिशब्दावली ४२५ ५१७ ३२४ ३८८ ५२० क्र०सं० शब्दरूप १. अंशहर: २. अकरणिः ३. अकृतकारं करोति ४. अगदङ्कार: ५. अग्निचित् ६. अग्निचित्या ७. अग्निभूति: ८. अग्निष्टोमयाजी ९. अग्निष्टोमयाजी पुत्रोऽस्य जनिता १०. अग्रत:सा: ११. अग्रत:सरी १२. अग्रेगा: १३. अग्रेगावा १४. अग्रे भुक्त्वा व्रजति १५. अग्रेभोजं व्रजति १६. अग्रेसर: १७. अग्रेसरी १८. अकुशग्रहः १९. अङ्कुशग्राहः २०. अङ्गमेजयः २१. अङ्गलित्र: २२. अज: २३. अजर्यम् २४. अजस्रः २५. अजीवनिः २६. अटाट्या २७. अट्टालिकाबन्धम् २८. अण्डसूः पृ० सं० क्र० सं० शब्दरूप पृ० सं० २४२, २९. अतमि १२ ४९८ ३०. अतिक्रम्य पर्वतं नदी ५३० ५४६ | ३१. अतीसार: ५१ ३२. अत्यन्तग: २७४ ६२,३२९ | ३३. अत्ययी ३८५ २०२ ३४. अत्यायः २१८ ३५. अदव्यङ् ६०४ ३६. अदृशदि ३७. अगर: ३८. अधिशयित: खट्वां भवान् ५७८ २४९ | ३९. अधिशयिता खट्वा भवता ५७८ २४९ / ४०. अधीत्य ५९० | ४१. अधीयन् पारायणम् ३५७ १२२ ४२. अधीयमानम् ३५० ५३४ | ४३. अधीयानो वसति ३४८ ४४. अध्यायः ४३६,५०४ २४९ ४५. अध्येता खलु भवान् २४९ शास्त्रस्य ४६. अध्वगः २७४ २४५ ४७. अनड्वान् २९० ४९,२५९ ४८. अनन्तकरः २५४ ४९. अनुजाता माणविका ३३४ माणवकेन ५७८ ५०. अनुजातो माणवको माणविकाम् ५७८ ४९८ | ५१. अनुजीर्णा वृषली भवता ५७८ ४८४ | ५२. अनुजीणों वृषली भवान् ५७८ ५५१ | ५३. अनुरोधी ३६९ ३०२ | ५४. अनूषितो गुरुं भवान् ५७८ ५३४ ५१५ २४५ २३५ or ३९६

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