Book Title: Katantra Vyakaranam Part 04
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 781
________________ ३११. उद्भावः ३१२. उद्धयः ३१३. उद्ध्यः ३१४. उद्यानपुष्पभञ्जिका ३१५. उद्याव: ३१६. उद्वहमाना: ३१७. उन्नायः ३१८. उन्मदिष्णुः ३१९. उन्मादी ३२०. उपचाय्यः परिशिष्टम् - ८ ४३८ ३४३. उरश्छदः २१३ | ३४४. उलूकपाकः १९० ३४५. उल्लाघः ४९५ ३४६. उवः ४३८,५०४ ३४७. उवौ ३५६ ३४८. उषितः ४४२ | ३४९. उषितवान् ३६४ | ३५०. उषित्वा ३२१. उपदा ३२२. उपदाय ३२३. उपधा ३२४. उपयमः ३२५. उपयामः ३२६. उपराव: ३२७. उपलम्भ्यानि धनानि ३२८. उपव्याय ३२९. उपसत् ३३०. उपस्थितो गुरुं भवान् ३३१. उपस्थितो गुरुर्भवता ३३२. उपहवः ३३३. उपक्षीय ३३४. उपाध्यायः ३३५. उपाध्याया ३३६. उपाध्यायी ३३७. उपासना ३३८. उपासितो गुरुं भवान् ३३९. उपासितो गुरुर्भवता ३४०. उपेत्य ३४१. उरःप्रतिपेषं युध्यन्ते ३४२. उरङ्गमः ३६८ | ३५१. उष्ट्रक्रोशी २०१ | ३५२. उष्णभोजी ४९२ | ३५३. उष्णिक् ८० ३५४. उह्येत खलु ४९२ ३५५. ऊः ४६३ | ३५६. ऊति: ४६३ ३५७. ऊर्ध्वपूरं पूर्ण: ४३७ | ३५८. ऊर्ध्वशोषं शुष्कः ५७ ३५९. ऋणं शोध्यम् ९७ ३६०. ऋतङ्गमः ३०२ | ३६१. ऋतम् ५७८ ३६२. ऋतिङ्करः ५७८ ३६३. ऋतित्वा ४६८ | ३६४. ऋत्विक् ८१ ३६५. एककरः ३९, ५०१ ५९३ ६५६ १०१, १०७ १०१,१०७ ६२६ ६२६ ६२५ ३१३ ३१० ३०१ भवता कन्या५१५ १०१, १०७, २९७ १०८, ६५८ ५५४ ५५४ ६५५ २७२ ११२ २६८ ३२ ३०० २५४ ११५ ५३८ ६१८ ६१८ -४२३,५९३ ११५ ११५ १०८ ३४२ ४३६ ३६६. एध: ४३६ | ३६७. एवङ्कारं भुङ्क्ते ४३६ ३६८. एषिता ४९३ ३६९. एष्टा ५७८ ३७०. ओक: ५७८ | ३७१. ओम ५९१ ३७२. ओद्मनी ५६३ | ३७३. ओम् २७३ ३७४. ओषाम्बभूवान् ७४३.

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