Book Title: Katantra Vyakaranam Part 04
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 760
________________ कातन्त्रव्याकरणम् । ७२२ ५२. पूर्वाचार्याः ५३. पूर्वे वैयाकरणा: ५४. प्राचीने: ५५. भट्टिः ५६. भरतादय: ५७. भर्तृहरिः ५८. भवद्भिः ५९. भारवि: ६०. भाष्यकार: १३९, ३०६, ४०९, ४८८ २२४ ४८९ ४३, १७३, ४५९ ५५० १५१ ६१. माघस्य ६२. मुरारि: ६३. यः ६४. ये ६५. वक्तव्यवादी ६६. वयम् ६७. वररुचि: ४१० २९, ५३, ८७, १२३, २२६, ३२५, ३७४, ३७९, ५३२, ५३३ ४०९ १४८, ५११ ३१७, ४१३, ५८७ १२३, ४११ १४, १५९ ४१, १००, ५७०, ५७१ १, २, ८, १५, १६, २१, २९, ४१, ४३, ६१, ७३, ९१, ११८, १३४, १६७, १८३, १९२, १९४, ६३७ ६८. वाक्यकार: ६९. वात्स्यायनस्य वाररुचाः ७१. विद्यासागर: ७२. वृत्तिकारा: ७३. वृनिकृत् वेदान्तवादिनः ४०९ ४६, ५२५ १११ ४०, ४१, १२३, ३९१, ४१२, ६२८ २१२, ४८४, ५५३ ३१८ ४३० ३१८ ४११ वैद्यः ३०३ वयाकरणाः 5. व्याकरणाचार्याणाम् ७८. व्यामः ७१. व्यत्पत्निवादी ८०. शर्ववमांचायं ८१. शाकटायन: ८२. शास्त्रकारैः ३५४ १, २३८ १३५, ३०७, ४११, ५५६ ५२७, ५२८

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