Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 710
________________ ६६८ कातन्त्रव्याकरणम् ३४३ ३४३ ४४६ ३२६ १२६ १९५. काकपेया नदी १९६. काकम् १९७. काण्डप्लविकः १९८. कान्तारातीतः १९९. कापुरुषः २००. कामण्डलेयः २०१. काम्पिल्यसिद्धः २०२. काम्लम् २०३. कार्पण्यम् २०४. कार्षापणिकः २०५. कालवणम् २०६. काष्ठम् २०७. काक्षेण वीक्षते २०८. किंवान् २०९. किन्तमाम् २१०. किन्तराम् २११. क्रियावान् २१२. कुण्डम् २१३. कुतः २१४. कुत्साः २१५. कुपुरुषः २१६. कुबेरबलिः २१७. कुब्राह्मणः २१८. कुमारी २१९. कुम्भीपक्वः २२०. कुरुकुरुक्षेत्रम् ३२६ २२१. कुशकाशम् ३७५ ४४७ २२२. कुह ५११,५१३ ४५७ २२३. कूपादन्धं वारयति ४५ ३२६ २२४. कृकवाकव्यम् ४६८ ४०३ २२५. कृतप्रणामो जनः ४३२,५३८ २२६. केशाकेशि ३२६ २२७. कौञ्जायन्यः ४२९ ४०१ २२८. कौद्दालिकः ४५८ ५४४ २२९. कौसुम्भम् ४५८ २३०. क्व ५१२ ४०१ २३१. खट्वारूढो जाल्मः १२६ २३२. खारी ४०१ २३३. गङ्गाशोणम् ३७५ ४८७ २३४. गच्छतां धावन्तः शीघ्राः १८८ ५२६ २३५. गच्छत्सु धावन्तः शीघ्राः १८८ ५२६ २३६. गर्गाः २६ ४८७ २३७. गवां कृष्णा सम्पन्नक्षीरा १८८ १२६ २३८. गवां दायाद: १८५ ५१३ २३९. गवां प्रतिभूः २७ २४०. गवां प्रसूतः १८५ ४०३ २४१. गवां साक्षी १८५ ३२६ २४२. गवां स्वामी १८५ ३२७ २४३. गवामधिपतिः १२६ २४४. गवामीश्वरः १८५ ३२६ २४५. गव्यम् ४६८,५३९ ३७५ २४६. गां दोग्धि पयः १८५ १८५ ११४

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