Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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परिशिष्टम् -८ ७६२. प्रतिपत्तिगौरव
७८४. प्रधानत्वम् १५७,१७३ निरासार्थम् १३७,३९५ |७८५. प्रधानम् १५३ ७६३. प्रतिपत्तिगौरवपरिहाराय ४४०७८६. प्रधानापेक्षः ७६४. प्रतिपत्तिगौरवम् ३९४,४६९, ७८७. प्रधानोपसर्जने २५६ ५२७,५४५ |७८८. प्रपञ्चार्थः
५०५ ७६५. प्रतिपत्तिरियं गरीयसी ५९ ७८९. प्रपञ्चार्थम् १३९,१४०,१६०, ७६६. प्रतिपदोक्तार्थम्
१६१,२९६,३९६,४५३ ७६७. प्रतिबन्धः | ७९०. प्रमादः
२९ ७६८. प्रतिभूः
७९१. प्रमादपाठः २९६ ७६९. प्रतिषेधापवादः
| ७९२. प्रयोक्त्रपेक्ष्यम् १७६ ७७०. प्रत्ययलोपलक्षण
७९३. प्रयोगगम्या हि तद्धिताः २७ न्यायेन २७१,४९९
७९४. प्रयोगदर्शनम् १८९ ७७१. प्रत्ययलोपलक्षणम् २७५
७९५. प्रयोगसाधुता ७७२. प्रत्ययवाच्यम् १८१
७९६. प्रविश तर्पणम् ७७३. प्रत्यर्थं शब्दनिवेशात्११७,१२६
७९७. प्रविश पिण्डीम् ७५ ७७४. प्रत्यवसानार्थः
८८|
| ७९८. प्रवृत्तिनिमित्तम् १४०,१६८, ७७५. प्रत्यक्षम्
३८०, ४७२ ७७६. प्रत्याख्यातम् १७३,४७०
| ७९९. प्रश्लेषः
५४२ ७७७. प्रत्यासत्तिन्यायात् ११२
८००. प्रसज्यप्रतिषेधवृत्तिः २९४ ७७८. प्रत्युदाहरणम् ४,५,१९७,
८०१. प्रसज्यवृत्तिः ३०२ १९९,२१३,२१४
८०२. प्रसिद्धा क्रियैव विशेषणम्१८० ७७९. प्रथमं वयः
८०३. प्रातिपदिकार्थः ११९ ७८०. प्रथमाकाङ्क्षा ६८ ७८१. प्रथमोत्पत्तिस्थानम्
८०४. प्राधान्यम् ६९, १२१ ७८२. प्रदीपार्था मल्लिका
८०५. प्राधान्यं पुनः शब्दकृतम् ४२ प्रदीपः
६७,६८ | ८०६. प्राप्त
| ८०६. प्राप्तिस्तु बहुप्रकारा ७२ ७८३. प्रधानक्रियापेक्षं तादर्थ्यम् ६६ | ८०७. प्राप्तोदको ग्रामः .
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