Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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परिशिष्टम् -८ १३१७. सुखप्रतिपत्त्यर्थम् ११६, १३६, | १३३२. स्तोकं पाकः
१८५, १८८, १३३३. स्तोकं स्वापयति छात्रम् ८८ १९०, २६८, १३३४. स्त्रीत्वम्
२३४ ३०२, ३१९, १३३५. स्त्रीत्वविवक्षा २४०, २४६. ५४६, ५४८
३८२, ३८६ १३१८: सुखबोधाय दर्शिताः १११
|१३३६. स्त्रीत्वादयः २३४ १३१९. सुखार्थः
५१५
| १३३७. स्त्रीपुंनपुंसकानि १३२०. सुखार्थ एव २७८
लोक० २३२,२३४ १३२१. सुखार्थमेव१२४, १९८, २०२,
|१३३८. स्थविरतरः ४१६ २०४, २०५, २०७,
| १३३९. स्थाणुर्वा पुरुषो वा ११५ २१९, २२१, २२६. १३४०. स्थानिवद्भावप्रतिषेधात २१२ २५५,२५७. २७५ /१३४१. स्थाल्या पच्यते ६७, ६९ १३४२. स्पन्दनमात्रम्
८१ १३२२. सुखार्थम् ३, ५, १८५, १९५,
१३४३. स्पन्दनम् २००, २३९, २६९, | १३४४. स्फोटवत्
२८८ २७६, ३२५, ४००./१३४५. स्मृतिः ३७०, ३७२ ४१९,४५६,४९८,४९९,५३० | १३४६. स्मृत्यर्थः
१९२ १३२३. सुप्सुपा समासः
| १३४७. स्मृत्यर्थकर्मणि सुपा समासः २५९ १३२४. सुमगधम्
८
१३४८. स्याद्यन्तम् १३२५. सुरा न पेया १००,४१५ /१३४९. स्वकपोलकल्पितप्रयोगः २६० १३२६. सुवर्णं कुण्डलं करोति ७२
१३५०. स्वकपोलकल्पितम् ११२ १३२७. सूत्रकारमतम् १४५,५४६
१३५१. स्वतन्त्रः १३२८. सूत्रे लिङ्गं संख्या० २८
१३५२. स्वतन्त्रता १३२९. सूपकारः १०२, १०६ | १३५३. स्वतन्त्रत्वम् १३३०. स्तोकं गन्ता ८८, ८९ | १३५४. स्वदेहार्पणनिष्क्रयेण ५०६ १३३१. स्तोकं पचति ७१ | १३५५. स्वभावसिद्धत्वात् ३२८
३३२
१९०
२५८
१०४
५८
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