Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 785
________________ ७४३ परिशिष्टम् -८ १३१७. सुखप्रतिपत्त्यर्थम् ११६, १३६, | १३३२. स्तोकं पाकः १८५, १८८, १३३३. स्तोकं स्वापयति छात्रम् ८८ १९०, २६८, १३३४. स्त्रीत्वम् २३४ ३०२, ३१९, १३३५. स्त्रीत्वविवक्षा २४०, २४६. ५४६, ५४८ ३८२, ३८६ १३१८: सुखबोधाय दर्शिताः १११ |१३३६. स्त्रीत्वादयः २३४ १३१९. सुखार्थः ५१५ | १३३७. स्त्रीपुंनपुंसकानि १३२०. सुखार्थ एव २७८ लोक० २३२,२३४ १३२१. सुखार्थमेव१२४, १९८, २०२, |१३३८. स्थविरतरः ४१६ २०४, २०५, २०७, | १३३९. स्थाणुर्वा पुरुषो वा ११५ २१९, २२१, २२६. १३४०. स्थानिवद्भावप्रतिषेधात २१२ २५५,२५७. २७५ /१३४१. स्थाल्या पच्यते ६७, ६९ १३४२. स्पन्दनमात्रम् ८१ १३२२. सुखार्थम् ३, ५, १८५, १९५, १३४३. स्पन्दनम् २००, २३९, २६९, | १३४४. स्फोटवत् २८८ २७६, ३२५, ४००./१३४५. स्मृतिः ३७०, ३७२ ४१९,४५६,४९८,४९९,५३० | १३४६. स्मृत्यर्थः १९२ १३२३. सुप्सुपा समासः | १३४७. स्मृत्यर्थकर्मणि सुपा समासः २५९ १३२४. सुमगधम् ८ १३४८. स्याद्यन्तम् १३२५. सुरा न पेया १००,४१५ /१३४९. स्वकपोलकल्पितप्रयोगः २६० १३२६. सुवर्णं कुण्डलं करोति ७२ १३५०. स्वकपोलकल्पितम् ११२ १३२७. सूत्रकारमतम् १४५,५४६ १३५१. स्वतन्त्रः १३२८. सूत्रे लिङ्गं संख्या० २८ १३५२. स्वतन्त्रता १३२९. सूपकारः १०२, १०६ | १३५३. स्वतन्त्रत्वम् १३३०. स्तोकं गन्ता ८८, ८९ | १३५४. स्वदेहार्पणनिष्क्रयेण ५०६ १३३१. स्तोकं पचति ७१ | १३५५. स्वभावसिद्धत्वात् ३२८ ३३२ १९० २५८ १०४ ५८ १०६

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