Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 786
________________ ७४४ १३५८. स्वभावाद् द्विकर्मकाः १३५९. स्वरमात्रप्रतिपत्त्यर्थम् १३६०. स्वरविधेरनादरात् १३६१. स्वरादयः १३६२. स्वरान्तम् १३६३. स्वरूपप्रतिलम्भ: १३६४. स्वसमर्पणम् १३६५. स्वस्ति १३६६. स्वस्वामिसंबन्धः कातन्त्रव्याकरणम् १३५६. स्वभावात् तत्वौ स्त्रीनपुंसकलिङ्गौ १३५७. स्वभावादादरविषयः १५५,१५६ | १३७३ . हिरण्यम् १३७१. हिमवतो गङ्गा ४७३ | १३७२. हिमवन्तं शृणोति १३२, ३३२ १४, १७ २८० ८३ ४४३ १६० ११९, १४८ १३६७. स्वाङ्गम् २४० | १३८३. क्षत्रियाः १३६८. स्वात्मनि क्रियाविरोधात् ५२४ १३८४. क्षुद्रजन्तुः १३६९. स्वार्थम् १३७०. हिंसा प्रभवति ६७ ९१ | १३७४. हीनोत्कृष्टलक्षणसंबन्धः १४८ ४०७ १३७५. हृदयम् ३१६ १३७६. हृदि ब्रह्मामृतं परम् ६४ १३७७. हेतुप्रयोगः १८८ १३७८. हेतुर्द्विविधः १७१ १३७९. हेतुविवक्षा ३२८ १३८०. हेतुसंज्ञा १०७ १३८१. हेतुहेतुमद्भावविवक्षा १६५ १३८२. हेत्वर्थः १८८ २८ ७३ १८,२० ३७०,३७२ ११६ | १३८५. क्षुद्रा: १९८, २०१ | १३८६. क्षेमवृत्तयः क्षत्रियाः ३६९ ३८

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