Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 778
________________ कातन्त्रव्याकरणम् ४४५ ३१५ ९८ १०० ९९७. वररुचिमतम् ६४ १०१६. वाचकाभिनयः २६५ ९९८. वर्णविमोहः २५४ | १०१७. वाच्यलिङ्गः १०८ ९९९. वर्णसमाम्नायः ४ | १०१८. वाच्यवाचकभावेन १४१ १०००. वर्णागमः २८१ | १०१९. वार्तमेतत् ४४५ १००१. वर्णान्तरापादनम् ४३९ | १०२०. वास्तविकम् १००२. वशिष्ठाः २६ | १०२१. विकार्यत्वम् १००३. वस्तु अभिधेयम् २५८ | १०२२. विकार्यव्याप्त्यर्थम् १००४. वस्तुतः ६, १६, ४९, ५३, | १०२३. विक्लित्तिः ६०, ८९ ६३,७२,१६७,१७५ १०२४. विक्लित्तिरूपक्रियाफल१००५. वस्तुतस्तु ५,९०,१०१,१०४, भागित्वम् ७९ ११२,१४९,१५९, १०२५. विक्लित्तिवचनः पचिः १०१ १६१,१६८,१८९, | १०२६. विक्लेदः १९९,२१३,२१४, | १०२७. विचारणा २९६ २४४,२५९,३०२, १०२८. विचित्रसूत्रनिर्देशप्रतिपत्तये४८० ४२३,४५४ | १०२९. विचित्रा हि कृतिः १००६. वस्तुलक्षणा ४४४ सूत्रस्य ४६५ १००७. वस्तुक्षतिः १८१,१८२,३२८, | १०३०. वित्तसमर्पणम् ३३३, ४६२ | १०३१. विदेहाः १००८. वस्त्वपेक्षः २ | १०३२. विद्युत् १००९. वस्त्वपेक्ष्यम् १७६ | १०३३. विधयः १०१०. वाक्यभेदप्रसङ्गात् १५७ | १०३४. विधिनिषेधौ १०, ११, १०८ १०११. वाक्यभेदार्थम् ४४०, ४४२ / १०३५. विनिगमनाभावः १६३ १०१२. वाक्यव्यवहारः २०५ | १०३६. विप्रतिषेधः ३८१ १०१३. वाक्यार्थः १६२ | १०३७. विप्रतिषेधे परं कार्यम् ११३ १०१४. वाक्यार्थसङ्गतिः १६६ / १०३८. विप्रश्नः ५५, ५६ १०१५. वाक्यैकदेशः १३६ / १०३९. विभक्तयः १५६ १८ १६४ ५०५ १

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