Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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६६५. पञ्चपूलीमानय ६६६. पञ्चवक्त्रः
६६७. पञ्चविधं निरुक्तम् ६६८: पञ्चाधिष्ठाना
वाकू
६६९. पञ्चालानामीश्वरः
६७०. पञ्जीकृतो हृदयम्
६७१. पञ्जीपङ्क्तिः
६७२. पण्डितैकः
६७३. पण्यं विक्रेयद्रव्यम्
६७४. पदमात्रे क्रियायाः
प्राधान्यम्
६७५. पदविकारः
६७६. पदसंज्ञार्थम्
६७७. पदसंस्कारकं हि
पूर्वस्मिन स एव
६८६. परमतदूषणार्थम्
परिशिष्टम् - ८
व्याकरणम्
६७८. पदसंस्कारकाले
६७९. पदार्थः पदार्थेनान्वीयते
६८०. पदार्थानतिवृत्तिः
६८१. पयः पयो जरयति ६८२. परं पूर्वेणं बाध्यते
६८३. परनिपातः
- ६८४. परनिमित्तादेशः
६८५. परनिमित्तादेशः
३ ६८७. परमतमनुसृत्य
३५६ | ६८८.
परमार्थतः
४११ | ६८९. परमार्थतः पुनरखण्डमेवैतत्
३४५,३४८ | ६९०. परमार्थतस्तु
१५१ | ६९१. परमोपकुम्भम्
१२१ ६९२. परभावना
४४ ६९३. परविधिर्बलवान् ११०,१११
४११
६९८. पराक्षेपः
१५ | ६९९. परिस्पन्दः
३०८ | ६९४. परसूत्रम् ८,३७,४९,५२, १२२
परसूत्रं न वाच्यम्
४५५
४५६ | ६९५. ६९६.
परशुश्छिनत्ति
६७
७२ | ६९७.
६७.
४४३
१५३
७००. परिस्पन्दक्रियावाचिनाम् १५२
१५३
१८३
१६०
१५८
२०२
२९४,३०२
परशौ छिनत्ति
४१५,४२१ | ७०१. परिस्पन्दवचनः
२४१ | ७०२. परिस्पन्दोपचरितः
३६ | ७०३.
३५९ |७०४.
११६ | ७०५.
११३ ७०६
पर्णतल्पम्
पर्याप्तिः
पर्यायः
७२९
पर्युदासवृत्तिः
पर्वतादवरोहति
५२५
६
३५६ | ७०७.
५३३ | ७०८.
७०९.
५४१ ७१०. पशुना रुद्रं यजते
१३३ ७११. पक्षद्वयम्
२८७
१९४
१,२,५
२७
८०
पशुं रुद्राय ददाति
६७
पशुना देयेन रुद्रं पूजयति ६७
६६,७१
२९२

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