Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 741
________________ ० ९२. ० ñ 9 १० ९५. w my ७८ परिशिष्टम् - ९१. आमुष्याः १८ |११७. उदमेघः ४१०,४१२ आमुष्यायणः २६८ /११८. उदवाहः आम्भसिको मत्स्यः ४४८ /११९. उद्देश्यम् आयतीगवम् ३६१ /१२०. उपकर्तृ आयुधम् ४५३, ४५४, ४५७ /१२१. उपकुम्भकम् आरूढवानरो वृक्षः ३०३ /१२२. उपकुम्भता ९७. आईखारी ५४१ /१२३. उपकुम्भम् २, ३, ३५९ ९८. आर्धद्रौणिकम् ५४१ /१२४. उपदशाः ३४३, ३४५, ३४८ ९९. आर्धप्रस्थिकः ५४१ /१२५. उपमानम् । ४६८ १००. आवपनम् ५४१ /१२६. उपयोगः १०१. आशौचम् ५४१ /१२७. उपरि वसति ५१७ १०२. आश्वो रथः ४३८ /१२८. उपवधु १०३. आस्तिकः ४५२ | १२९. उपवसनम् ९३ १०४. आह्निकः ५३४ १३०. उलूकपक्षी २४० १०५. आक्षिकः ४४८ १३१. उलूकपुच्छी २४० १०६. इ: ४३३ १३२. उषसानक्तम् ३९२ १०७. इत्यम् ५२२ /१३३. उष्ट्रमुखः २६९ १०८. इन्द्राणी २३९ १३४. ऋगयनम् २२६ १०९. इभ्यपोटा __ २९२, २९९ /१३५. एकपत्नी २४२ ११०. इह ५०९ १३६. एकमाता २० १११. इक्ष्वाकवः १८/१३७. एकवचनम् ११६, १२० ११२. ईप्सितम् ४१, ४२, ४५ /१३८. एकविंशः ४९४ ११३. उगवादी ४६५ १३९. एकविंशतिः ४९४ ११४. उच्चावचम् २८६/१४०. एकविंशतितमः ४९४ ११५. उत्तानशया २४१ १४१. एकादशः ११६. उदपानम् ४१०, ४१२ | १४२. एकादशी ४८८ ४८८

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