Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay
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७०२
कातायाकरणम्
५३५
२३९
५३६
२४७. गुडधानाः २४८. गुरुलाघवम् २४९. गोगतः २५०. गोबाली २५१. गोमतीभूता २५२. गोमान् २५३. गोहितम् २५४. गौधेयः २५५. गौपुच्छिकः २५६. गौरवलाघवम् २५७. गौरिषस्थम् २५८. ग्रामगतः २५९. ग्रामगमी २६०. ग्रामपतिः २६१. ग्रामपत्नी २६२.. घण्टिकः २६३. घाण्टिकः २६४. चतुरङ्गः २६५. चतुरङ्गयोगेण २६६. चतुर्थः २६७. चतुर्धा करोति २६८. चतुष्पथम् २६९. चत्वारिंशः २७०. चातुरं शकटम् २७१. चातुर्दशं रक्षः २७२. चातुर्वर्ण्यम्
३२६ २७३. धातुधम्
५४१ ५४० २७४. चाक्षुषं रूपम् २७५ /२७५. छान्दसः
४३८ २४१, २४६ /२७६. जडता
४७६ ३९१ २७७. जडत्वम्
४७६ ४७८, ४८३ /२७८. जाजल: ३२६ /२७९. जाड्यम्
४७६ ५४० २८०. जानुदनी २३९
४४८ २८१. जानुद्वयसी ५४०, ५४२ २८२. जानुमात्री २३९
२२१ /२८३. जाम्बवम् ___ ३२९ २८४. ज्योतिष्टोमः २२२ ३३३ २८५. ततः
५०५ २४२ /२८६. तत्स्थाः २६६, २६९ २४२ /२८७. तदन्तः
२५० |२८८. तदर्थः
१६३ ४४९ /२८९. तदर्थम्
१६१ २२९ २९०. तदीयम्
२९१. तन्तुवाय्या नापित्या ४९२ |२९२. तन्मुखम् ५२१ /२९३. तादर्थ्यम्
१६१ ३७८ २९४. ताम्बूलिकः ४४८, ४५४ ५३० २९५. तिष्ठद्गु ४३८ २९६. तीर्थध्वाङ्क्षः ४३८ | २९७. तुल्यम्
४५८ ४७७ २९८. तुमर्थात्
Bonnier
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