Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 755
________________ ४१. करणता. ४२. करणत्वम् ४३. करणम् ४४. करणविवक्षा कर्ता ४५. ४६. ४७. कर्तृत्वम् ४८. ४९. ५०. ५१. ५२. कर्मत्वम् ५३. ५४. ५५. कर्मलक्षणम् ५६. कारकम् ५७. कारकविभक्तिः ५८. ५९. ६०. ६१. ६२. गौणमुख्ययोर्मुख्ये कार्यसंप्रत्ययः जहत्स्वार्था वृत्तिः जातिः कर्तुरनीप्सितम् कर्त्रधीनं करणम् कर्म कर्मकर्ता कर्म त्रिविधम् कर्मधारयः कर्मप्रवचनीयाः काल: केवलकर्ता गोत्रम् गौणकर्म ६३. ६४. ६५. झल्प्रत्याहार ६६. तद्धितवृत्तौ परिशिष्टम् - ७ १७१ | ६७. १०९ | ६८. ६६, ७० ६९. ७८ ७०. १०२ ७१. ७२ ७२. १०२, १०५ ७३. १७२ ७४. ७६ १०५ ७५. ७७ ७६. ७५, ७७, ८० ७७. २८५ ७८. १४७ ७९. ७९ (0. १२, १६ ८१. १५८ ८२. १०४ ८३. १०५ | ८४. ४२३ ८५. ९१ ८६. ८७. १,२ ८८. २५६ ८९. ४७३ ९०. २११ | ९१. २०३ ९२. तद्धिताः तत्पुरुषः दर्शः द्रव्यम् द्वन्द्वः द्विगुः द्वितीया धातोस्तदर्थातिशयेन योगः धुट् नदादिराकृतिगणः निर्वर्त्यत्वम् निर्वर्त्यम् नैमित्तिकः पदम् परस्मैपदम् परस्मैभाषः १८. ३६९, ४१६ ३२६, ३४३ ३६९ १६८ २६०, ३५१ ४, ३७६ ९९ प्रथमा प्राप्यत्वम् प्राप्यम् प्रेरणा ७१३ प्रेषणकारकम् प्रेषणम् बहुव्रीहिः ४११ २११ २३६ ८४ ७२,७७, ८८ ६६ १२ २६८ पुरुष : २३२ प्रकृत्युच्छेदसंभूतम् ७३, ७७ प्रतियोगित्वम् ७९ ९९, ११४ ९८ ७७ ५६ १०९ १०७ १९९, ३४३ ७२, ७३, १६

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