Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 760
________________ ७१८ ३९१ । ३५४ ५८ ५४९ कातन्त्रप्याकरणम् १३१. अर्थसङ्गतिः ४४६ | १५३. अवर्णः कण्ठ्यः १३२. अर्थात्मा | सर्वमुखस्थानम् १३३. अर्थाश्चानन्ताः ११७ | १५४. अवस्थान्तरपदेन १३४. अर्पणम् १५५. अवस्थान्तरप्राप्तिः १३५. अलम् १५८ /१५६. अविनाशः १३६. अलुक्समासाः १५७. अविनीतपौरवं गां याचते ९० १३७. अल्पविवक्षा १५८. अविभक्तिनिर्देशः ५०२ १५९. अव्ययसंज्ञा ११ १३८. अल्पस्वरतरम् १६०. अव्ययानामनेकार्थत्वात् ५२८ १३९. अवच्छेदः १६१. अव्याप्तिः ८४ १४०. अवधिः १६२. अव्युत्पत्तिपक्षे १४१. अवधित्वम् १६३. अव्युत्पन्नपक्षे ५४८ १४२. अवधिभावाशङ्का १६४. असंख्यम् १२, १५ १४३. अवधिमत्ताप्रतीतिः १४० | १६५. असूया ४७, ५५ १४४. अवधिविवक्षा ९१ | १६६. असोढः १४५. अवयवः १७३,५४४ | १६७. अस्मन्मतम् १४६. अवयवधर्मेण समुदायो १६८. अस्माकं मते व्यपदिश्यते २९९ | १६९. अस्यायमर्थः ४९, ६३, ८४, १४७. अवयवयोः १५४ १४८. अवयववादी त्वाह ५४५ | १७०. अस्यार्थः १३३, १६६,१७६, १४९. अवयवावयवोऽपि १८२, १९३,१९४, समासस्यावयवः ५२७ २६२, ३०७, ३०८, १५०. अवयवी ३१०, ३११,३१३, १५१. अवयवेऽपि अवयवी ३१७, ३१९,३३८, विद्यते ३४५, ३४८, ३७२, १५२. अवरोहणम् ४१६,४४४ ५४५

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