Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 759
________________ ८९. ९० ३४१ परिशिष्टम्-८ ८६. अप्राप्यकारीणि इन्द्रियाणि ३० | १०९. अभेदोपचारवृत्तेः ४४८ ८७. अबुधबोधनाय २५४ | ११०. अभेदोपचारवृत्तौ ४८२ ८८. अभावो बहुविधः ३५९ / १११. अभेदोपचाग्म्य २३६ अभिख्या नामशोभयोः ४७५ | ११२. अभेदोपचारात् ११५,२४५, १०. अभिधानमेवाश्रयः २९८, ३०४,४०४,४४१ ३२८, ४८२ | ११३. अभ्यर्थनम् ९१. अभिधानम् १९, २४, ४३४ | ११४. अभ्यर्हितम् ३४१ ९२. अभिधानलक्षणा हि ११५. अभ्युपगमवादेन कृत्तद्धितसमासाः २५८, ४२३ | ११६. अमृतम् ३६९ ९३. अभिधानव्यवस्था ३७१,३७४ | ११७. अयमभिप्रायः ३०६, ३४० ९४. अभिधानसंबन्धः १६३ ११८. अयमर्थः ४३, ५१, ५२, ९५. अभिधानसामर्थ्यम् २९३ ५३, ५४, ५५, ९२, ९६, अभिधेयवादी २३३ १२३,१७३,१९५,३१४,४२८ अभिविधिरपि |११९. अयमाशयः ५४, १२३, मर्यादाविशेषः २६१,३२१,३८४,३८९ ९८. अभिव्यक्तिः | १२०. अयमेवार्थः २७२ ९९. अभिव्याप्तिः ५९,१०३ | १२१. अरण्याद् बिभेति ३० १००. अभिसंबन्धः २३ | १२२. अर्चितम् १०१. अभूतप्रादुर्भावलक्षणा ___ ७२ | १२३. अर्जुनः कार्तवीर्यः ३०३ १०२. अभेदविवक्षया ११७ | १२४. अर्जुनस्य तुला नास्ति १७८ १०३. अभेदविवक्षा ४३९ १२५. अर्थः १०४. अभेदविवक्षापि १२५ /१२६. अर्थगतिः ३०२,३१७ १०५. अभेदविवक्षायाम् ११५,२०० | १२७. अर्थपरो निर्देशः १४०,१६४ १०६. अभेदैकत्वम् २५५ /१२८. अर्थप्रतिपत्तिलाघवस्य ३०२ १०७. अभेदैकत्वसंख्या २५५ | १२९. अर्थप्रधानत्वान्निर्देशस्य ४५१ १०८. अभेदोपचारः १९,४५६ | १३०. अर्थलाघवम् ९६. २७ १३७ ३५७ १२८

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