Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 767
________________ पचनः २३८ ११७ २८८ परिशिष्टम् -८ ४७२. ग्रन्थगौरवभयात् ३१५ | ४९७. जातिः २३२, ३८०, ४७४ ४७३. ग्रन्थाधिक्येऽर्थाधिक्यम् १६३ | ४९८. जातिवचनः ४७४. घटम् उपलभते ७३ | ४९९. जातिवचनत्वम् ४७५. चकारकरणम् १७९ | ५००. जातिसंबन्धभेदात् ४७६. चकारानुवर्तनात् १५९ | ५०१. जातेरेकत्वात् ११६ ४७७. चर्मणि द्वीपिनं हन्ति १३५ | ५०२. जायमानः ३९१ ४७८. चक्षुःप्रेरणम् | ५०३. जुगुप्सा ४७९. चक्षूरश्मयः ७३ | ५०४. जैमिनिकडारः ३५६ ४८०. चादयः १२ | ५०५. ज्ञानं हि द्विविधम् ३०१ ४८१. चिकीर्षा १०३, २०२ | ५०६. ज्ञापकानि ३९४, ४९२ ४८२. चिन्त्यमन्यत् सुधीभिः १२४ | ५०७. ज्ञापनम् ४८३. चिरन्तनः ९३ | ५०८. ज्ञीप्यमानः ४८, ५५ ४८४. चेष्टा १०३, १५३ | ५०९. टीकापङ्क्तिः ४८५. चेष्टाग्रहणम् १५३ | ५१०. टीकाहृदयम् १८६. चेतनावन्तः सर्वे भावाः ७६ | ५११. तत्र ४८७. चेद्यधु दक्षिणं मेरोः २८६ | ५१२. . तदन्तप्रतिपत्त्यर्थम् २५१ ४८८. चैत्रेण कृतम् १०० | ५१३. तदन्तविधिः १,२,५,२१२, ४८९. छन्दस्येव ५१० ४०३ ४९०. छन्दोऽर्थम् ५१५, ५२१, ५१४. तद्धितप्रयोगे मा भूत् २०१ ५२३, ५२९ | ५१५. तद्धितवृत्त्या समासवृत्ति४९१. छात्राय क्रुध्यति ५७ बर्बाध्यते ४१५, ४१७ ४९२. छात्राय तिष्ठते कुमारी ५७ | ५१६. तद्वितानामाकृति४९३. छात्राय श्लाघते ५७/ प्रधानत्वात् ४७७ ४९४, छात्रेण हन्यते १०० | ५१७. तद्धितोत्पत्तिः ४९५. जनपदः १८ | ५१८. तद्धितोत्पत्तिपक्षः ६ ४९६. जनपदो हि देशः ३७२ | ५१९. तर्काचार्यस्यापि मतमेतत् १६० ४३ ४८५ ५०८ २६२

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