Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 747
________________ ४०२. नास्तिकः ४०३. निकटपाठानाम् ४०४. नियमार्थम् ४०५. नियोगः ४०६ . निरह्नम् ४०७. निर्धारणम् ४०८. निर्मक्षिकम् ४०९. निर्वर्त्यम् ४१०. निश्चप्रचम् ४११. निःषामा ४१२. निःषेधः ४१३. निषधाः ४१४. निष्ठादिषु ४१५. नीलोत्पलम् ४१६. नैकटिकः ४१७. नैयग्रोधः ४१८. न्यूनतादोषः ४१९. पञ्चकः ४२०. पञ्चकपाल ओदनः परिशिष्टम् - ६ ४५३ ४२७ पञ्चधा करोति ३७१ ४२८. पञ्चनावधनः ३३२ |४२९. पञ्चपटुः ४५१,४५४ ४३०. पञ्चपुरुषाः २२७ | ४३१. पञ्चपूली १८६, १८७ ४३२. पञ्चब्राह्मण्यः पट्वीमृदुभार्यः पतिवली भार्या परमतृतीय : परमद्वितीयः परिक्रीतः ३४३ | ४४७. परिमाणम् ४२१. पञ्चकाः शकुनयः ४२२. पञ्चगर्गरूप्यः ३२०,३२१ ४४८. परेद्यवि ३५९ ४३३. पञ्चमः ९७ ४३४. पञ्चमी २९३ ४३५. पञ्चशराव ओदनः २२१ ४३६. पञ्चषाः २२१ ४३७. पञ्चालाः १८ ४३८. पञ्चाश्वा २०६ ४३९ पञ्चेन्द्रः २८५ |४४०. पटुता ४५३ ४४१. पटुत्वम् ५४६ | ४४२. २४३ |४४३. ६८ | ४४४. ४४५. ३२०,३७६,३७७ |४४६. ४२४. पञ्चगवम् ४२५. पञ्चगोणिः ४२६. पञ्चतक्षी ४२३. पञ्चगवधनः ३२०, ३२१,३४४४४९. पर्यध्ययनः ३७७ ४५०. पर्वतवत् २५१ |४५१. ३७७ | ४५२. पलाण्डुभक्षिता पलाण्डुभक्षिती ७०५ ५२३ ३२१ २५१ २४२ ३२०, ३७६ ३२१ ४८१ ४.८४ ३२० ३४६ १८ २४१ २५१ ३८१ ३८१ ३८३ २४२ ४९७ ४९७ ६८ ३४८ ५१६ ३२७ ४६८ २४० २४०

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