Book Title: Katantra Vyakaranam Part 02 Khand 02
Author(s): Jankiprasad Dwivedi
Publisher: Sampurnanand Sanskrit Vishva Vidyalay

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Page 709
________________ ३४३ परिशिष्ट-४ १४४. उर x केण २३२ १७०. ओदनबुभुक्षुः ३२६ १४५: उर:पेण २३२ १७१. औजसिकः ४५८ १४६. उर ० पेण २३२ १७२. औदूखला मुद्गाः ४४७ १४७. उरसिलोमाः ३४३ १७३. औपगवः ४२१,५३७, १४८. उर्वाः २६ ५३९,५४३ १४९. ऋतीषट् ४०८ १७४. औपगवीयाः ४६४ १५०. ऋते देवदत्तात् १४१ १७५. औपबिन्दविः ४३७ १५१. एकः १२७ १७६. औलोमिः ५३६ १५२. एककोटितमः ४९६ १७७. कटं करोति ९९,१३४ १५३. एकदा ५१४ १७८. कटे आस्ते ६६,१३५ १५४. एकलक्षतमः ४९६ १७९. कठभार्या ३९० १५५. एकशततमः ४९६ १८०. कण्ठेकालः १५६. एकसहसतमः ४९६ १८१. कतिथः ४९४ १५७. एकादशः ४९० १८२. कतिपयथः ४९४ १५८. एडका २३५ १८३. कथम् ५२३ १५९. एतर्हि ५०३, ५१५ १८४. कदश्वः १६०. एधोदकस्योपस्कुरुते १९७ १८५. कदा १६१. एषः २२४ १८६. कदुष्टः १६२. ऐतिकायनीयाः ४६४ १८७. कन्यारूपम् १६३. ऐन्द्रं हविः ४४७ १८८. कीं २४८ १६४. ऐन्द्रो मन्त्रः ४४७ १८९. कर्मण्यः १६५. ऐषमः ५१९ १९०. कलकूटाः १६६. ओदनं पचति ९९ १९१. कलिङ्गाः १६७. ओदनं पचन् २०९ १९२. कल्पनापोढः १६८. ओदनं पचमानः २०९ १९३. कष्टश्रितः १६९. ओदनं भुक्तवान् २०९ १९४. कांस्यपात्र्यां भुङ्क्ते ११४ ३९९ ५१४ ३९९ ३२६ ३२६ ३२६

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